लोकसभा का चुनाव पांचवें चरण में पहुंच गया है। 20 मई को इस चरण में यूपी की 14 सीटों के लिए मतदान हो रहा है। इन 14 में से 13 सीटें 2019 के चुनाव में बीजेपी के पास थीं। ऐसे में इस चुनाव में अपनी इन 13 सीटों को सुरक्षित रखना बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उधर, रायबरेली सीट पर काबिज रहने के लिए कांग्रेस ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है।

14 लोकसभा क्षेत्रों में दस पर कांग्रेस और 4 पर सपा के प्रत्याशी

अकेली यही ऐसी लोकसभा सीट है, जिसकी वजह से 17वीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अपना खाता खोल पाने में कामयाब हो पाई थी, जिन 14 संसदीय सीटों के लिए पांचवें चरण का मतदान होना है उनमें दस सीटों पर समाजवादी पार्टी और चार सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं।

1991 से अब तक बीजेपी के अलावा कोई अन्य प्रत्याशी जीत नहीं सका है

इन 14 सीटों में लखनऊ से राजनाथ सिंह, रायबरेली से राहुल गांधी, अमेठी से स्मृति ईरानी, मोहनलालगंज से कौशल किशोर, फैजाबाद से लल्लू सिंह चुनाव मैदान में हैं। लखनऊ को भाजपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता है। 1991 से अब तक इस सीट से भाजपा के अलावा कोई अन्य पार्टी का प्रत्याशी जीत हासिल कर पाने में कामयाब नहीं हो सका। इस सीट पर राजनाथ सिंह जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में हैं। उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा और बहुजन समाज पार्टी के सरवर मलिक से है।

रायबरेली को बचाना कांग्रेस के साथ राहुल के लिए प्रतिष्ठा का सवाल

उधर, अपने अभेद्य दुर्ग रायबरेली को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी इस बार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को सौंपी है। राहुल गांधी ने अंतिम दिन रायबरेली से नामांकन कर यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भर दिया है। राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। दिनेश प्रताप सिंह के लिए सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के असंतुष्ट नेता पैदा कर रहे हैं। जबकि बसपा ने रायबरेली से ठाकुर प्रसाद यादव को टिकट दे कर सपा के पारंपरिक वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की है। उधर अमेठी को दूसरी बार जीतने के लिए स्मृति ईरानी चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के केएल शर्मा से है, जिनके चुनाव प्रचार की कमान खुद प्रियंका गांधी ने संभाल रखी है। बसपा ने नन्हे सिंह चौहान को मुकाबले में उतार कर अमेठी के मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

उधर मोहनलालगंज में कौशल किशोर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए इस बार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। इंडिया गठबंधन ने आरके चौधरी को और बसपा ने राजेश कुमार को यहां से मैदान में उतारा है। मोहनलालगंज में 35 फीसद मतदाता अनुसूचित जाति से हैं। तीनों दलों के प्रत्याशियों के अनुसूचित जाति से होने की वजह से इस बार यहां मुकाबला बेहद दिलचस्प होता नजर आ रहा है।

कैसरगंज में सांसद बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके पुत्र करण भूषण सिंह को भाजपा ने मैदान में उतारा है। जबकि सपा ने भगतराम मिश्र को और बसपा ने नरेंद्र पाण्डेय को चुनाव मैदान में उतार कर कैसरगंज के चुनाव में जातीय सियासी गर्मी पैदा कर दी है। जिसकी वजह से इस सीट पर मुकाबला रोचक होता नजर आ रहा है। उधर कौशाम्बी में जीत की हैट्रिक लगाने भाजपा के टिकट पर उतरे विनोद सोनकर का चुनाव फंसता नजर आ रहा है।

कुण्डा से विधायक और जनता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह के किसी को समर्थन न दे कर वहां के मतदाता से उनकी आत्मा की आवाज के आधार पर मतदान करने के आह्वान के बाद कौशाम्बी में भाजपा बैकफुट पर है। विनोद सोनकर का मुकाबला सपा के पुष्पेंद्र सरोज और बसपा के शुभ नारायण गौतम के साथ है।