चुनाव आयोग ने 8 जनवरी 2022 को यूपी समेत पांच राज्यों के चुनावी तारीखों की घोषणा की थी। 56 दिनों तक चले चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रैलियों के मामले में सबसे व्यस्ततम प्रचारक नजर आए। प्रियंका गांधी ने 209 जबकि योगी आदित्यनाथ ने 203 रैली और रोड शो किए।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जो भाजपा के लिए मुख्य चुनौती बनकर उभरे, उन्होंने 117 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया, जबकि 14 रोड शो भी किए। अखिलेश यादव ने कम रैलियां की, लेकिन उनकी रैलियों में आ रही भीड़ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। जबकि बसपा प्रमुख मायावती ने केवल 18 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया।

चुनाव आयोग ने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए शुरुआत में रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले कुछ चरणों में राजनीतिक दलों ने डोर टू डोर प्रचार अभियान पर ही ध्यान केंद्रित किया। फिर जैसे-जैसे कोरोना के मामलों की संख्या कम होती गई, प्रतिबंधों में ढील दी गई और राजनीतिक दलों ने बड़ी रैलियां और बड़े रोड शो का आयोजन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में 27 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में एक रोड शो भी किया। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बीजेपी के लिए बड़ी संख्या में रैलियां की। बीजेपी की चुनाव तैयारियों पर करीब से नजर रखने वाले अमित शाह ने यूपी में 54 रैलियों को संबोधित किया। साथ ही राजनाथ सिंह ने 43 रैलियों को संबोधित किया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी 41 रैली और रोड शो को संबोधित किया।

योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सभी 75 जिलों में चुनाव प्रचार किया। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन (5 मार्च) योगी ने गोरखपुर शहर सीट पर एक रोड शो भी किया, जहां से वे खुद चुनाव लड़ रहे हैं। कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 86 रैलियों को संबोधित किया। बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि ओबीसी नेता केशव प्रसाद मौर्य की ज्यादातर जनसभाएं ओबीसी बाहुल्य क्षेत्रों में लगाई गई थी।

केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने भी 34 रैलियों को संबोधित किया। केंद्रीय मंत्री पांडे चंदौली लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं और बीजेपी के प्रमुख ब्राह्मण चेहरों में से एक हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया। उन्होंने बीजेपी के गढ़ अयोध्या और वाराणसी में भी रोड शो किया। अखिलेश की ज्यादातर रैलियां बुंदेलखंड, मध्य यूपी और पूर्वांचल में लगाई गई थी। सपा के सूत्रों ने बताया कि अखिलेश ने इन क्षेत्रों में अधिक समय दिया क्योंकि छोटी पार्टियों से गठबंधन करने के बाद अखिलेश यादव की नजर नॉन यादव ओबीसी वोट बैंक पर थी।

सपा संस्थापक और संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने इस चुनाव में केवल दो रैलियों को संबोधित किया। एक करहल (मैनपुरी जिले) में जहां से उनके बेटे अखिलेश पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और दूसरी रैली मल्हानी ( जौनपुर जिला) में किया, जहां सपा के सात बार के विधायक और तीन बार मंत्री रहे स्वर्गीय पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव मैदान में हैं। अखिलेश की पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव ने कौशमाबी और जौनपुर जिलों में पांच रैलियों को संबोधित किया।

राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष (RLD) जयंत चौधरी, जिनका सपा के साथ गठबंधन था, उन्होंने अपने अभियान को पश्चिम यूपी में केंद्रित किया, जहां उनकी पार्टी का प्रभाव है। अखिलेश यादव के साथ उनकी आखिरी संयुक्त रैली वाराणसी में थी, जहां टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी हिस्सा लिया था।

कांग्रेस अध्यक्ष और रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी के सक्रिय प्रचार से दूर रहने के कारण उनकी बेटी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी के अभियान को आगे बढ़ाया और 167 रैलियों और नुक्कड़ सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने 42 रोड शो और डोर-टू-डोर कैंपेन का भी नेतृत्व किया। प्रियंका ने वर्चुअली 340 निर्वाचन क्षेत्रों को भी संबोधित किया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वाराणसी और अमेठी में केवल दो रैलियों को संबोधित किया। राहुल गांधी अमेठी से पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कांग्रेस पार्टी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी यूपी चुनाव प्रचार में सक्रिय रहे। बसपा प्रमुख मायावती ने 18 तो वहीं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और ब्राह्मण चेहरे सतीश चंद्र मिश्रा ने 55 रैलियों को संबोधित किया।