अमिल भटनागर (इंडियन एक्‍सप्रेस)

असमोली-संभल रोड पर मोती मस्जिद है। इन दिनों यहां पर पहले के मुकाबले ज्‍यादा हलचल दिखती है। यहां अलग-अलग पार्टियों के उम्‍मीदवार अपने-अपने लाव-लश्‍कर के साथ गुजरते हैं। लोगों से बात करते हैं और चुनावी वादे भी।

मोती मस्जिद से अगली वाली गली में रहने वाले 60 साल मोहम्‍मद फहीम यूपी चुनाव 2022 के बारे में पूछने पर कहते हैं कि आज कम्‍युनल फोर्सेज को हराने की जितनी जरूरत है, उतनी पहले कभी नहीं थी। आज हिंदू-मुस्लिम के नाम पर वोट मांगा जा रहा है। आप जैसे ही इस मुद्दे को चुनावी बनाते हो तो एक जाहिर है एक तरफ के लोग आपकी तरफ आ ही जाते हैं। फहीम बताते हैं कि इस इलाके में कुछ ही हिंदू परिवार रहते हैं। उन्‍हें कभी कोई दिक्‍कत नहीं हुई और आगे भी नहीं होगी, लेकिन टीवी चैनल पर हर वक्‍त दुश्‍मनी का माहौल दिखाया जाता है, लेकिन जनता समझदार है। चुनावी परिणाम इस बात को साबित कर देंगे।

मुस्लिम बहुत संभल जिले में चार विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने गन्‍नौर और चंदौसी (SC) सीट पर जीत दर्ज की थी। वहीं, सपा ने असमोली और संभल सिटी विधानसभा में विजय प्राप्‍त की थी। सपा-रालोद गठबंधन ने संभल सिटी से इकबाल महमूद को ही मैदान में उतारा है। इकबाल पिछले चार चुनाव सपा के टिकट पर यहां से जीत चुके हैं और इस बार भी मैदान में हैं।

स्‍थानीय निवासी मोहम्‍मद अरीब कहते हैं कि अगर बीजेपी लगातार कम्‍युनल लाइन पर चलेगी तो उसे लोगों के गुस्‍से का सामना करना पड़ सकता है। लोग अब इन सांप्रदायिक बातों से तंग आ चुके हैं। पिछली बार सपा ने भी कम्‍युनल लाइन पर जा चुनाव लड़ा। जब सपा ने कब्रिस्‍तान की बाउंड्री वॉल बनवाई तो उसे श्‍मशानों के लिए भी काम करना चाहिए था, लेकिन सपा की तरफ से ये कम्‍युनल कार्ड खेला गया, जिसकी वजह से उसे पब्लिक ने बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। यूपी की मौजूदा सत्‍ताधारी पार्टी को समझ लेना चाहिए कि कम्‍युनल बातों से जनता को गुस्‍सा आता है।

संभल सिटी विधानसभा से कांग्रेस ने न्‍यूज नेशन की जर्नलिस्‍ट निदा अहमद को उतारा है। निदा अहमद खुद को संभल की बेटी बताकर प्रचार कर रही हैं। वहीं, इकबाल महमूद खुद को संभल का बादशाह बता रहे हैं, लेकिन इस बात को वह भी मानते हैं कि मुकाबला इस बार कड़ा है। निदा अहमद कहती हैं कि इस इलाके में न तो कोई डिग्री कॉलेज है और न ही कोई पार्क। मैं पत्रकार हूं और राजनीति में आने के बाद भी तब तक सवाल पूछती रहूंगी, जब तक बदलाव नहीं आ जाता।

बसपा ने संभल सिटी से शकील अहमद को टिकट दिया है। शकील की मीट कंपनी है। मुस्लिम मतदाताओं के बीच इनकी भी अच्‍छी पैठ बताई जाती है। बीजेपी ने राजेश सिंघल को यहां से मैदान में उतारा है। हालांकि, मुस्लिम आबादी ज्‍यादा होने के कारण यहां उनको नुकसान है। उनके सपोर्टर अनूप शर्मा कहते हैं कि योगी राज में कानून व्‍यवस्‍था दुरतस रही है। यहां पर हिंदू कम संख्‍या में हैं, लेकिन हमारा पूरा वोट योगी जी के लिए है। हम उम्‍मीद करते हैं कि हमारे मुस्लिम भाई भी इस सरकार की अच्‍छी बातों पर ध्‍यान देंगे।

संभल जिले के जैसा ही डिवाइड मुरादाबाद में भी नजर आता है। यहां की छह सीटें मुस्लिम बहुल हैं। पिछले चुनाव में यहां सपा ने चार और बीजेपी ने दो सीटें जीती थीं। मुरादाबाद सदर सीट से बीजेपी ने अपने सिटिंग एमएलए रितेश कुमार गुप्‍ता को ही मैदान में उतारा है। वहीं, सपा ने मोहम्‍मद यूनुस अंसारी को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने इरशाद हुसैन पर दांव खेला है।