यूपी विधानसभा चुनाव में तमकुही राज सीट से चुनावी मैदान में उतरे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का एक बयान खूब सुर्खियां बटोर रहा है। एक सभा को संबोधित करते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा है कि बड़े घर का बेटा होगा तो बबुआ और छोटे घर का बेटा होगा ललुवा कहा जाएगा। इस अपमान का बदला इस चुनाव में लेना है।

यूपी में लल्लू की पहचान पिछले पांच सालों में जमीन पर संघर्ष करने वाली नेता की रही है। कांग्रेस जो हर सीट पर इस बार जिस संगठन के सहारे चुनाव लड़ रही है, उसे तैयार करने में अजय कुमार लल्लू की भूमिका बड़ी रही है। लल्लू तमकुही राज सीट से ही दो बार से विधायक हैं और इस बार तीसरी बार मैदान में उतरे हैं।

अपने चुनावी प्रचार के दौरान एक नुक्कड सभा को संबोधित करते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा- “बड़े घर का बेटा होगा तो ‘बबुआ’ कहा जायेगा, छोटे घर का बेटा होगा तो ‘ललुवा’ कहा जायेगा। ये अपमान किया है उन लोगों ने, जिसका बदला लेना है और बता देना है कि लल्लू हमारा भाई है, लल्लू हमारा बेटा है…”।

अपने एक और बयान में उन्होंने कहा कि यह लड़ाई बराबरी की लड़ाई है। दबे – कुचले लोगों के सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि तमकुही की जनता ने 3 मार्च को सामंतवाद, झूठ और वंचितों को मजाक बनाने वाली भाजपा को करारा जवाब देने के लिए मन बना लिया है। गरीबों, मजलूमों, नौजवानों की जीत होगी।

बता दें कि तमकुही में लोग लल्लू को हमेशा मिलने वाला नेता मानते रहे हैं और उनकी पहुंच भी पिछड़े और गरीब तबकों में मानी जाती रही है। कभी मजदूरी करने वाले अजय कुमार लल्लू 2007 में निर्दलीय चुनाव लड़े थे, तब हार गए थे। मजबूरी में दिल्ली आकर मजदूरी की लेकिन इलाके के लोगों के संपर्क में रहे। इसके बाद 2012 के चुनाव से पहले घर वापस लौटे और फिर से जनता के संघर्ष में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया।

अजय पहली बार 2012 में चुनाव जीते, फिर मोदी लहर में भी वो अपनी सीट बचाकर लेकर चले गए। प्रियंका ने जब यूपी की कमान संभाली तो प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी अजय कुमार लल्लू के पास आ गई। इसके बाद प्रियंका गांधी और अजय कुमार लल्लू की जोड़ी यूपी के हर मुद्दे पर संघर्ष करती दिखी है। हालांकि इस बार का चुनाव त्रिकोणीय होने से अजय कुमार लल्लू के लिए चुनौतियां ज्यादा है।