दिनेश शाक्य
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहली दफा विधानसभा का चुनाव मैनपुरी जिले की यादव बाहुल्ल माने जाने वाली करहल विधानसभा सीट से उतरे है। आज अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट के लिए अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया। दोपहर बाद केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल अपना नामांकन करने आ पहुंचे। अब करहल विधानसभा की इस सीट पर कड़ा ओर संघर्षपूर्ण मुकाबले की उम्मीद जताई जाने लगी है।
करहल विधानसभा सीट पर जो केंद्रीय राज्य मंत्री चुनाव मैदान में उतरे हुए हैं, वे कभी अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा गार्ड भी रह चुके हैं। अखिलेश यादव मैनपुरी मुख्यालय से जैसे ही नामांकन करके बाहर वापस निकले वैसे ही भाजपा उम्मीदवार के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल भी अपना नामांकन करने के लिए आ पहुंचे।
एसपी सिंह बघेल के नामांकन करने के बाद भाजपा के स्थानीय और राज्य स्तरीय नेता उत्साहित नजर आ रहे हैं। ये नेता ऐसा मानकर के चलते हैं कि करहल विधानसभा सीट का समीकरण उनकी पार्टी के पक्ष में है। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं के बलबूते पर भारतीय जनता पार्टी करहल विधानसभा सीट पर अपना झंडा फहराने का दावा कर रही है लेकिन इस सीट पर साल 2002 के अलावा भाजपा कभी भी चुनाव नहीं जीत सकी है। करहल की विधानसभा सीट को समाजवादी पार्टी या फिर मुलायम परिवार के लिए अजेय और जीवनदायनी मानी जाती है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि करहल नेताजी की शैक्षिक और राजनीतिक कर्म भूमि रही है। यहां की जनता नेताजी को ना केवल पसंद करती है बल्कि उनके परिवार से भी उनका बेहद लगाव है और इसी वजह से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को भारी मतों से जीत मिलती आई है।अखिलेश यादव के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे अखिलेश को करहल से नामांकन पर बधाई और भारी मतों से जीत की अग्रिम शुभकामनाएं दीं। इटावा से मैनपुरी तक समाजवादियों का गढ़ माना जाता है। इलाके में मुलायम सिंह के परिवार की गहरी पैठ दिखती है और भाजपा का कोई नामलेवा नजर नहीं आता ।
मैनपुरी जिले की करहल सीट की राजनीति की शुरुआत और उससे पहले भी यह इलाका मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि थी। नेताजी का गृह जिला इटावा भी इसके करीब ही है। करहल में कुल 3 लाख 71 हजार वोट है जिनमे यादव 1 लाख 44 हजार, शाक्य 35 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, लोधी 11 हजार, मुसलिम 14 हजार, ब्राह्मण 14 हजार, जाटव 34 हजार हैं। करहल विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे एसपी सिंह बघेल की राजनैतिक पारी भी कम रोमांचक नहीं है।
प्रो. एसपी सिंह बघेल उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के मूल निवासी हैं। कभी उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में तैनात रहे बघेल 1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी सुरक्षा में शामिल हो गए। बघेल से प्रभावित मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1998 में पहली बार उतारा था। इस चुनाव में जीत के बाद वे दो बार सांसद चुने गए। 2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा।
2014 में बघेल ने राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। 2017 में टूंडला सुरक्षित सीट से भाजपा विधायक बने। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में शामिल किया गया। 2017 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आगरा लोकसभा क्षेत्र से उन्हें टिकट दिया। यहां से जीत दर्ज कर वे केंद्रीय मंत्री बने।
करहल सीट समाजवादी पार्टी के गठन से ही उसका गढ़ रही है। तीन दशक से पार्टी का सीट पर कब्जा है। यहां 38 फीसद यादव हैं। करहल विधानसभा क्षेत्र में करीब 3 लाख 71 हजार वोटर हैं। कहें कुछ भी, एसपी सिंह बघेल के जरिए भाजपा ने तुरुप का पत्ता जरूर फेंक दिया है।
जिसके जरिए भारतीय जनता पार्टी यह दावा कर रही है कि वह अखिलेश यादव को घेरने में कामयाब होगी लेकिन अखिलेश यादव ने जिस ढंग से जनता के बीच अपना चुनाव छोड़ दिया है उससे यह बात स्पष्ट हो रही है कि अखिलेश यादव अपनी जीत के प्रति पूरी तरीके से निश्चिंत हैं लेकिन एसपी सिंह बघेल के चुनाव मैदान में आने के बाद उनकी निश्चिंतता कितनी बरकरार रह पाएगी यह तो 20 फरवरी को मतदान और 10 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।
