तमिलनाडु बीजेपी के दो प्रमुख चेहरे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई और केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन आने वाला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। इसे बीजेपी के एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। AIADMK पिछले साल बीजेपी से अलग हो गई।

पहले ऐसे संकेत मिले थे कि अन्नामलाई मैदान में उतर सकते हैं और कोयंबटूर, तिरुपुर या पोलाची में से किसी एक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि स्थानीय नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार’ के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

इसी तरह नीलगिरी के रिजर्व्ड सीट से डीएमके के मौजूदा सांसद ए राजा को टक्कर देने के लिए केंद्रीय मंत्री मुरुगन को शॉर्टलिस्ट किया गया था। पार्टी नेताओं ने स्वीकार किया कि तथ्य यह है कि दोनों नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसका मतलब यह लगाया जा सकता है कि भाजपा को हार का डर सता रहा है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु से कोई सीट नहीं जीती थी और उसने एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था।

अन्नामलाई ने घोषणा कि वह चुनाव की दौड़ में नहीं हैं। ये बड़ा बयान है। उन्हें लंबे समय से तमिलनाडु के लिए भाजपा के चेहरे के रूप में देखा जाता रहा है। वहीं मुरुगन को मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए फिर से नॉमिनेट किया जा रहा है। ऐसे में वह भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।

अपनी खुद की उम्मीदवारी पर अन्नामलाई ने कहा कि वह पहले से ही राज्य में घूम रहे हैं। उन्होंने चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज कर दिया। विशेष रूप से कोयंबटूर लोकसभा के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भाजपा के पास कई सक्षम नेता हैं जिन्होंने पार्टी की सेवा की है और चुनाव भी जीते हैं। अन्नामलाई ने कहा कि हम वहां सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार की घोषणा करेंगे।

पश्चिमी तमिलनाडु के एक वरिष्ठ भाजपा नेता और कोयंबटूर के एक वरिष्ठ आरएसएस नेता ने अन्नामलाई की घोषणा पर आश्चर्य व्यक्त किया। अन्नामलाई के आत्मविश्वास की सराहना करते हुए एक अन्य नेता ने कहा कि उन्हें भी अपने कार्यों के लिए जवाबदेही का सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर हमने एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा होता, तो हम अधिकतम एक-दो सीटें जीत सकते थे और वोट शेयर 9% से अधिक नहीं हो सकता था। अब अकेले चुनाव लड़ने और सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मतलब है कि हम 15% वोट शेयर तक पहुंच सकते हैं, भले ही हम एक सीट न जीतें। लेकिन जिस तरह से अन्नामलाई ने अपनी और मुरुगन की उम्मीदवारी के संबंध में निर्णय सुनाया, उससे गलत धारणा बनी।”

कई लोगों ने एआईएडीएमके के एनडीए छोड़ने के फैसले के लिए अन्नामलाई को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यही कारण है कि पार्टी को अपनी लोकसभा आकांक्षाओं को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अन्नामलाई के लगातार हमलों के बाद AIDMK ने गठबंधन छोड़ दिया था। अन्नामलाई ने कहा था कि भाजपा को राज्य में गठबंधन की जरूरत नहीं है।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “अन्नामलाई की रणनीति लंबी अवधि में फलदायी हो सकती है लेकिन भाजपा को चुनावों में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है। ऐसे परिदृश्य में उन्हें चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए और उसके चेहरे के रूप में उभरना चाहिए। अगर आलाकमान ने फैसला किया कि उन्हें चुनाव लड़ना है तो अन्नामलाई के पास इस मामले में कोई विकल्प नहीं होगा। उन्हें ऐसे बयान क्यों देने चाहिए जैसे वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।

तमिलनाडु भाजपा प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने तर्क दिया कि अन्नामलाई का रुख नया नहीं है और उन्होंने हमेशा कहा है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा मुरुगन के नीलगिरी से चुनाव नहीं लड़ने की भी जानकारी थी।