चुनाव आयोग द्वारा यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में सभी सातों चरणों में लोकसभा चुनाव करवाने का ऐलान किया गया है। चुनाव आयोग के इस ऐलान पर लालू यादव की पार्टी राजद ने आपत्ति जताते हुए बीजेपी पर प्रहार किया है। राजद की तरफ से आरोप लगाते हुए बीजेपी पर अपने फायदे के लिए सरकारी मिश्नरी के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है।

बंगाल में लोकसभा की 40 सीटें हैं जबकि बिहार में यूपी की आधी 42 लोकसभा सीटें हैं। इसी संख्या का जिक्र करते हुए राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हमने एनडीए सरकारों के कार्यकाल में देखा है कि कैसे सरकारी संस्थानों, ब्यूरोक्रेसी और मीडिया का गलत इस्तेमाल किया जाता है। प्रचंड गर्मी में बिहार में सात चरणों में वोटिंग करवाने का कोई तुक नहीं है। यूपी में ऐसा करना समझ आता है।

उन्होंने कहा कि बिहार में सात चरणों में चुनाव दिखाता है कि यहां बीजेपी, जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धड़े नर्वस हैं। उन्होंने कहा कि पहले तो बीजेपी ने अपने शब्दों से पलटने हुए नीतीश कुमार को एनडीए में दोबारा एंट्री दी। अब ऐसे शेड्यूल का इस्तेमाल वो पीएम नरेंद्र मोदी की ज्यादा रैलियां प्लान करने के लिए करेंगे और एडवांटेज के लिए सरकारी मिश्नरी का जमकर इस्तेमाल करेंगे। राजद प्रवक्ता ने कहा कि हम इस लंबे शेड्यूल के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वोटर्स को निराश कर सकता है। उन्होंने कहा कि एनडीए तेजस्वी यादव द्वारा नौकरियां देने के वादे से डरा हुआ है।

पिछली बार क्या रहे थे परिणाम?

साल 2019 में लोकसभा में बिहार में एनडीए करीब-करीब ऐसा ही दिखता था। तब लोकसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए को प्रचंड सफलता मिली थी। एनडीए को राज्य में 40 में से 39 लोकसभा सीटों पर सफलता मिली थी। राजद प्रवक्ता के आरोपों को नकारते हुए बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष निखिल आनंद ने कहा कि राजद बहाने बना रही है, ईसी पर आरोप लगाकर उसने चुनाव से पहले ही अपनी हार स्वीकार ली है।

उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले हर पार्टी अपने कैडर को उत्साहित करने के लिए नारे लेकर आती है। राजद बीजेपी के स्लोगन से डर गई है। हमारे कैडर के अनुमान से पता चलता है कि इस बार हम बिहार में सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि राजद-कांग्रेस और लेफ्ट मिलकर बीजेपी और एनडीए का सामना करने में संकोच कर रहे हैं।