सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू ने चतुर्वेदी को गैर-ब्राह्णण और ग्रीक का बताकर एक नए बवाल को जन्म दे दिया है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट शेयर की है जिसमें उन्होंने अपने एक दिवंगत मित्र के हवाले से यह बात कही है। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया है। कुछ लोगों ने उनके भी सरनेम का विश्लेषण शुरू कर दिया।
क्या है काटजू की पोस्ट में?
काटजू ने लिखा है, ‘उत्तर भारत में चतुर्वेदी सरनेम (उपनाम) वाले कुछ लोग रहते हैं। वे लोग दिखने में गोरे, सुंदर और बुद्धिमान होते हैं। मूलतः ये बृजमंडल यानी मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद आदि जगह के रहने वाले हैं। वे खुद को ब्राह्मण बताते हुए कहते हैं कि उनके पास चारों वेदों का ज्ञान है इसीलिए उन्हें चतुर्वेदी कहा गया। लेकिन जब मुझे पता चला कि शुक्ला, मिश्रा, द्विवेदी, त्रिपाठी, वाजपेयी, पांडे आदि उपनामों वाले ब्राह्मण चतुर्वेदी से शादी नहीं करते। चतुर्वेदी लड़का सिर्फ और सिर्फ चतुर्वेदी लड़की से ही शादी कर सकता है।’
मित्र के हवाले से कही यह बात
इसके बाद काटजू ने लिखा है, ‘जब मैंने संस्कृत में पीएचडी कर चुके अपने एक प्रकांड विद्वान मित्र इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज रह चुके दिवंगत डॉक्टर राम शंकर द्विवेदी से इसका कारण जानना चाहा तो उन्होंने पहले आसपास देखकर यह सुनिश्चित किया कि कोई चतुर्वेदी तो मौजूद नहीं है। फिर धीरे से मेरे कान में कहा कि वे ब्राह्मण हैं ही नहीं, वे ग्रीक हैं।’ इस पोस्ट के अंत में काटजू ने यह भी लिखा है कि यह हल्के-फुल्के अंदाज में लिखा गया है। इसलिए चतुर्वेदी अब मेरा पुतला न जलाएं या मेरे खिलाफ मुकदमा न करें।
