Sachin Pilot vs Ashok Gehlot: राजस्थान में 25 नवंबर यानी शनिवार को मतदान होगा। भाजपा-कांग्रेस समेत सभी दलों ने चुनाव प्रचार के माध्यम से जनता तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इन सबके बावजूद तीन दिसंबर की तारीख ही नेताओं के कामकाज पर आखिरी मोहर लगाएगी, क्योंकि इस दिन पेटियों में बंद नेताओं की किस्मत बाहर आएगी, लेकिन इन सबके बावजूद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो तकरार 2020 में देखने को मिली थी, उसकी टीस रह-रहकर सचिन पायलट को चुभती रही है।
यही वजह है कि उनका यह दर्द समय-समय पर सामने भी आता रहा है। साथ ही मीडिया भी सचिन पायलट से इस मुद्दे को लेकर अक्सर सवाल दाग ही देती है। ऐसा ही कुछ शुक्रवार को हुआ जब सचिन पायलट ने एक बार फिर उस लम्हे को याद करते हुए कहा कि मेरे बारे में बहुत कुछ कहा गया, आरोप लगाए गए, लेकिन मैंने हमेशा अपना धैर्य न खोने की कोशिश की।
सचिन पायलट ने कहा, ‘मेरे बारे में बहुत कुछ कहा गया, आरोप लगाए गए, लेकिन मैंने कभी धैर्य नहीं खोया और संयम से काम लिया। मैंने हमेशा मर्यादित भाषा का प्रयोग किया। पायलट ने साथ यह भी कहा कि मुझे लोकतंत्र में अगर विरोधियों की आलोचना करनी है तो भी संयमित भाषा में करनी चाहिए। बजपन से मेरे इसी तरह के संस्कार हैं।’
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम से जब पूछा गया कि मतदान की तारीख आते-आते सचिन पायलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अशोक गहलोत दोनों के लाडले बन गए हैं? इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा, ‘अगर किसी नेता को लाडला बनना है तो पब्लिक का बनना चाहिए। लाडला बनने के लिए किसी नेता की जरूरत नहीं होती। पब्लिक का लाडला बनने के लिए त्याग, तपस्या, समर्पण, सेवा और जनता के बीच में रहकर जो रिश्ता कायम होता है, वही सबसे बड़ी पूंजी होती है और मैं उसी दिशा में काम कर रहा हूं। उसी तरह के मेरे बचपन से संस्कार हैं।’
पीएम मोदी भी आपकी चिंता करने लगे हैं? इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा, ‘किसी को भी मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है। मेरी पार्टी और मेरी जनता ही मेरी चिंता करेगी। हम उसके लिए समर्पित हैं। विचारधारा के प्रति जो हमारा संघर्ष है, हम उसमें जीतकर आएंगे।’