Rajasthan Congress Candidate Sachin Pilot: कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में टोंक क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के अजीत सिंह मेहता (Ajit Singh Mehta) से है। सचिन पायलट का कांग्रेस पार्टी से पुश्तैनी रिश्ता रहा है। उनके पिता राजेश पायलट पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री थे। खुद सचिन पायलट दौसा से सांसद रहे हैं और केंद्रीय मंत्रिमंडल में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रहे हैं। वर्ष 2004 में कश्मीरी नेता फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्लाह से उनका विवाह हुआ था।

मौजूदा विधायक का है पूर्व विधायक से मुकाबला

इस समय वे राजस्थान के टोंक विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इस बार वे फिर से इसी सीट के लिए पार्टी के उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ बीजेपी के उम्मीदवार अजीत सिंह मेहता पूर्व में यहीं से ही विधायक रह चुके हैं। फिलहाल वह पार्टी के प्रवक्ता हैं। 2013 अजित सिंह मेहता ने टोंक से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था और निर्दलीय उम्मीदवार सऊद सैदी को तीस हजार से अधिक वोटों से हराया था। 2018 में सचिन पायलट यहां से उम्मीदवार बने और उन्होंने सीट जीत ली थी।

पार्टी के अंदर राजनीतिक गुटबाजी भी है बड़ा फैक्टर

सचिन पायलट 2014 से 14 जुलाई 2020 तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे। हालांकि बाद में वे विवादों में आ गये और उनको अपना अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री पद से भी वे हटा दिए गए थे। राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनका आपसी संबंध बहुत अच्छा नहीं है। राज्य कांग्रेस में भी दो गुट है। एक गुट अशोक गहलोत का है तो दूसरा गुट सचिन पायलट का है। दोनों गुट एक-दूसरे के खिलाफ है। इस गुटबाजी की वजह से पार्टी को कई बार परेशानी का भी सामना करना पड़ा। जाहिर है टोंक विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस समर्थक वोटरों में भी इसका असर है और कुछ लोग सीएम अशोक गहलोत के समर्थक हैं तो कुछ अन्य लोग सचिन पायलट के समर्थक हैं।

सुलह के लिए राहुल गांधी और खड़गे को करना पड़ा हस्तक्षेप

दोनों नेताओं में आपसी सुलह कराने के लिए खुद पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को हस्तक्षेप करना पड़ा था। हालांकि दोनों लोग पार्टी में हैं और साथ में चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनके आपसी रिश्ते अब भी मधुर नहीं हैं।

यहां 2,52,000 वोटर हैं। इनमें 60,000 मुस्लिम वोटर हैं और करीब 45 से 48 हजार अनुसूचित जाति यानी एससी वोटर हैं। 22,000 से ज्यादा गुर्जर समुदाय से हैं। अनुसूचित जन जाति यानी एसटी मतदाताओं की संख्या 13 हजार है। ब्राह्मण वोटरों की संख्या 16 हजार है, वैश्यों की संख्या 12 हजार है। छह हजार राजपूत वोटर हैं। इन सब के अलावा करीब 32 हजार वोटर्स अन्य जातियों के हैं।

सचिन पायलट दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की थी और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे अमरीका स्थित पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री भी हासिल की। 10 फरवरी 2002 को उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली। वर्ष 2004 में वे चौदहवीं लोकसभा के लिए दौसा सीट से सांसद चुने गये और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 1.20 लाख मतों से पराजित किया।

युवा सांसद पायलट केंद्र सरकार के गृह विभाग के स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य एवं नागरिक उड़्डयन मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके है। दिसंबर 2018 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में विधायक बनने पर वे राज्य के 5वें उप मुख्यमंत्री भी बने। सीएम अशोक गहलोत से मतभेदों को लेकर 14 जुलाई 2020 को उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया।