Rajasthan BJP Candidate Vasundhara Raje: राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए 25 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपने कैंडीडेट्स का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने तीन लिस्ट में अब तक 182 उम्मीदवारों को टिकट दिया है। वहीं, झालरापाटन से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पांचवी बार दम दिखाएंगी।

ग्वालियर की पूर्व राजकुमारी और धौलपुर की महारानी वसुंधरा राजे ने राजतंत्र से निकलकर लोकतंत्र में ऊंचा मुकाम बनाया है। 5 बार विधायक, 5 बार सांसद और 2 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाली वसुंधरा राजे अपना पहला चुनाव अपने ही गृह राज्य से हार गईं। उसके बाद जब अपने ससुराल से राजनीतिक सफर शुरू किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं राजे का नाम भाजपा की महिला नेताओं में शीर्ष पर लिया जाता है।

निजी जीवन

मुंबई में जन्मी वसुंधरा राजे ग्वालियर राजघराने की पुत्री हैं। उनके पिता का नाम जीवाजीराव सिंधिया और मां का नाम विजया राजे सिंधिया है। वह मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया की बहन हैं। राजे का विवाह धौलपुर के एक जाट राजघराने में हुआ। उनका विवाह 1972 में हेमंत सिंह के साथ हुआ था, हालांकि एक साल बाद वे अलग हो गये। वसुंधरा के बेटे दुष्यंत सिंह उनके पूर्व निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ से लोकसभा के लिए चुने गए थे।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

वसुंधरा राजे ने अपने जीवन का पहला चुनाव सन 1984 मे मध्यप्रदेश के भिडं लोकसभा क्षेत्र से लड़ा था जिसमे उनकी हार हुई। राजे को 1984 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया था। इसके बाद 1985-87 के बीच राजे भाजपा युवा मोर्चा राजस्थान की उपाध्यक्ष रहीं। 1987 में वसुंधरा राजे राजस्थान प्रदेश भाजपा की उपाध्यक्ष बनीं। उनकी कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया।

वसुंधरा राजे को अक्टूबर 1999 में फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद वसुंधरा राजे राजस्थान में भाजपा राज्य इकाई की अध्यक्ष बनीं। 2013 में गहलोत सरकार को सता से हटाने के लिए उन्होंने सुराज संकल्प यात्रा निकाली जिसका उन्हे भरपूर समर्थन मिला ओर वह राज्य की दूसरी मुख्यमंत्री बनी। 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और उनका मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया। हालांकि, वसुंधरा राजे ने अपनी सीट बरकरार रखी थी।

वसुंधरा राजे के सामने टूट जाते हैं जातीय समीकरण

झालरापाटन विधानसभा क्षेत्र में कई जातियां हैं, लेकिन यहां वसुंधरा राजे का नाम सबसे आगे है। चुनाव में उनके उतरते ही सभी जातीय समीकरण टूट जाते हैं और उनके पक्ष में एकतरफा वोटिंग होती है। यही कारण है कि राजे के खिलाफ कांग्रेस के मजबूत से मजबूत प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। 2013 में राजे ने इस सीट पर सबसे बड़ी जीत हासिल की थी और उनहें 114384 वोट मिले थे। तब उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार मीनाक्षी चंद्रावत को 60 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी।

वसुंधरा राजे महिलाओं को लुभाने के लिए जिस इलाके में जातीं उसी इलाके की वेशभूषा पहनकर जाती थीं। वसुंधरा राजे का रूतबा देखकर राजस्थान की जनता ही नहीं, बल्कि पक्ष-विपक्ष के नेता विधानसभा तक में उन्हें महारानी ही कहते थे। अपने राजशाही रहन-सहन के कारण कई बार वे आलोचनाओं की शिकार भी हो चुकी हैं।

उपलब्ध‍ियां

खादी उत्पादों और कोटा डोरिया को प्रोत्साहित करने के लिए वसुंधरा राजे को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘वीमेन टुगेदर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके शासन में राजस्थान को 2006 में ‘यूनेस्को कन्फ्यूशियस’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।