रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल जेट डील विवाद को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर पलटवार किया है। शुक्रवार (आठ फरवरी, 2019) को न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में उन्होंने मिनिस्ट्रियल नोट पर कहा, “कांग्रेस बताए कि आखिर नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (एनएसी) में सोनिया गांधी क्या किया करती थीं?”

आगे आरोप लगाते हुए वह बोलीं, “मैं कांग्रेस से जानना चाहती हूं कि एनएसी क्या थी? सोनिया गांधी के अंतर्गत नेशनल एडवाइजरी काउंसिल। वह कोई संवैधानिक संस्था नहीं थी, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का रिमोट कंट्रोल कर रही थी। क्या कांग्रेस इस पर जवाब देगी। उन्हें इस पर सोचने दीजिए। हम इस पर चर्चा करेंगे कि क्या हस्तक्षेप होता है और क्या नहीं। वे एनएसी को चर्चा में ले आएं और हमें बताएं कि एनएसी क्या थी और क्या उसकी भूमिका थी?” देखें, क्या बोलीं रक्षा मंत्रीः

यह पूछे जाने पर- राफेल डील से जुड़े पत्र लीक पर आप परेशान थीं? उनका जवाब आया, “मैं राफेल या फिर किसी अन्य फैसले के सही या गलत होने को लेकर परेशान नहीं थी। जिस तरह से लीक हुई चिट्ठी का चुनिंदा हिस्सा लीक हुआ और उसे लेकर जो नकारात्मक माहौल बनाया गया, वह मुझे हैरान करता है।”

दरअसल, विवादित राफेल डील पर इससे पहले कांग्रेस ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप लगाया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल मामले में रक्षा मंत्रालय को बताए बगैर सीधे फ्रांस सरकार से सौदा किया, जिससे इस सौदे में रक्षा मंत्रालय द्वारा की जा रही बातचीत कमजोर पड़ गई।

किसान आभार सम्मेलन के दौरान राहुल बोले, ‘‘आज सुबह आपने पढ़ा होगा कि रक्षा मंत्रालय के अफसर कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने राफेल मामले में सीधे रक्षा मंत्रालय को बताए बिना फ्रांस की सरकार से सौदा किया। कल शाम संसद में चौकीदार (मोदी) पौने दो घंटे बोले। लेकिन राफेल पर एक शब्द नहीं बोला।’’ रक्षा सचिव ने फाइल में लिखा कि नरेंद्र मोदी ने समानांतर बातचीत की और हिन्दुस्तान की वायुसेना…रक्षा मंत्रालय की बातचीत की स्थिति (नेगोशिएशन पोजिशन) कमजोर की। उसके बारे में चौकीदार एक शब्द नहीं बोलता है, लेकिन सच्चाई को नहीं छुपाया जा सकता।”