पंजाब में आगामी 14 फरवरी को विधानसभा की 117 सीटों पर चुनाव होंगे। ऐसे में सभी पार्टियां सत्ता हासिल करने का दम भर रही हैं। वहीं आम आदमी पार्टी की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी कार्यकर्ता काफी जोश में हैं। दरअसल इन सबके पीछे कई कारण हैं जो आम आदमी पार्टी की उम्मीदों को बल दे रहे हैं।
आप की मजबूती के अहम कारण: आप को ताकतवर बनाने में सबसे बड़ी वजह सत्तारूढ़ कांग्रेस है। दरअसल बीते कुछ महीनों में कांग्रेस की सामने आई गुटबंदी और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का पार्टी से अलग होना, कांग्रेस की कमजोर कड़ी मानी जा रही है। वहीं 2017 में 15 सीट जीतने वाली शिरोमणि अकाली दल भी मजबूती के साथ रणनीतिक रूप से वापसी करने में विफल रही है। ऐसे में जनता में बदलाव चाहती है।
इन सबके बीच आम आदमी पार्टी अपने लिए बेहतर मौका मान रही है। इसके अलावा पार्टी ने राज्य में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए काफी प्रयास किये हैं।

बीते पांच साल में आप की परेशानियां: पिछले पांच वर्षों में, आप में अंदरूनी कलह भी देखने को मिली। 2017 में 20 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी। हालांकि कई विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। ऐसे में अब आप के पास मुश्किल से आधी संख्या बची है। जबकि पार्टी के पास अभी भी विधानसभा में 17 विधायक हैं।
पंजाब में अरविंद केजरीवाल की आप ने 2017 में लगभग 100 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की थी लेकिन नतीजे सिर्फ 20 सीटों तक ही सीमित रहे। जिसमें अधिकांश सीटें (18) मालवा क्षेत्र से और दो दोआबा से हासिल हुईं। वहीं पार्टी माझा क्षेत्र में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।
वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में पंजाब में AAP की लोकप्रियता में गिरावट देखी गई। पार्टी की तरफ से केवल प्रदेश अध्य्क्ष भगवंत मान को ही जीत मिल सकी। स्थानीय निकाय चुनावों में भी नतीजे उतने ही निराशाजनक रहे।
हालांकि, पिछले एक साल में पार्टी को मजबूत करने में आप की तरफ से कई प्रयास किये गये। दिल्ली के विधायक जरनैल सिंह को राष्ट्रीय नेतृत्व ने पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया और उसके बाद राघव चड्ढा को राज्य के सह-प्रभारी के रूप में नियुक्त किया गया। अपने चुनावी अभियान में चड्ढा कई मौकों पर कह चुके हैं कि 2017 की तुलना में माझा क्षेत्र में आप बेहतर प्रदर्शन करेगी।
बता दें कि इस बार आम आदमी पार्टी ने 117 विधानसभा सीटों के लिए 109 उम्मीदवारों की घोषणा की है। 9 जनवरी रविवार को राघव चड्ढा ने कांग्रेस में अंदरूनी कलह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि “चन्नी सिद्धू के साथ नहीं हैं, जाखड़ चन्नी और सिद्धू के साथ नहीं हैं और सुखजिंदर रंधावा सिद्धू के साथ नहीं हैं।” मालूम हो कि इन परिस्थितियों को देखते हुए आप खुद के लिए सत्ता हासिल करने का बेहतर मौका मान रही है।
हाल ही में हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में AAP ने बेहतर प्रदर्शन किया। इस चुनाव में उसने 14 वार्डों में जीत हासिल की। वहीं भाजपा 12, कांग्रेस 8 और अकाली दल के खाते में 1 सीट आई। विधानसभा चुनाव से पहले हुए इस निकाय चुनाव में अच्छे प्रदर्शन को पार्टी मनोबल बढ़ाने वाला मान रही है।