मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में एक महीना बाकी है। वहीं इस बार कई अलग चीज चुनाव में देखने को मिलेगी। एक परिवार जो दशकों से कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा, वह अब बीजेपी के साथ है। हम बात कर रहे हैं सिंधिया परिवार की, जो अब बीजेपी के साथ है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में हैं। जब से वो बीजेपी में आये हैं, तब से उनका मिजाज भी बदला है।

बीजेपी बूथ अध्यक्षों के एक ग्रुप के बीच से ज्योतिरादित्य सिंधिया निकल रहे थे। इसी दौरान वह अपने सुरक्षाकर्मियों से कहते हैं कि आप लोग जरा साइड पर बैठिए। मुझे किसी सुरक्षा की जरूरत नहीं है। मेरे सेनापति (कमांडरों) की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है और मेरी सुरक्षा उनके हाथों में है।

ग्वालियर राजघराने के वंशज सिंधिया को इन क्षेत्रों में महाराज-जी के नाम से जाना जाता है। सिंधिया का उनके साथ मिलकर चुनाव अभियान की बारीकियों पर काम करने का तरीका अलग है। हालांकि सिंधिया को अपनी नई पार्टी के रंगों के कारण एडजस्ट करना पड़ा है। जहां पहले कांग्रेस में शाही आचरण का अपना स्थान था, वहीं नई भाजपा में इसके लिए थोड़ा धैर्य है। हाल ही में द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में सिंधिया ने जोर देकर कहा कि भाजपा हमेशा से घर रही है।

पर्यवेक्षकों का कहना है कि उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी कि पिछोर में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्हें प्रेरित करने से पहले पुराने सिंधिया मंच से उतरकर कार्यकर्ताओं से बात करेंगे और व्यक्तिगत रूप से पूछेंगे कि क्या उनके पास मतदाता सूची या कलम और कागज जैसी जरूरत की चीजें हैं। पिछोर एक सीट जो भाजपा ने तीन दशकों में नहीं जीती है।

बदलाव के बारे में बात करते हुए एक स्थानीय नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पहले लोग हमेशा उनके सामने झुकते थे, उनके पैर छूते थे या हाथ जोड़कर खड़े रहते थे।

वास्तव में जब सिंधिया पहली बार 2020 में भाजपा में शामिल हुए तब कई लोगों ने 2016 में क्षेत्र में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिंधिया पर किए गए हमले को याद करते हुए कहा, “राजमाता साहब (सिंधिया की दिवंगत दादी और वरिष्ठ भाजपा नेता राजमाता विजयाराजे सिंधिया) कहां हैं और आपके सांसद (सिंधिया) कहां हैं? उनकी स्थिति लोगों के प्यार के कारण थी। उनके बारे में जितना कम कहा जाए, उतना बेहतर होगा। मैंने कभी किसी में इतना अहंकार नहीं देखा, उन्हें कांग्रेस की बीमारी है।”

सिंधिया कितना आगे आ गए हैं यह स्पष्ट हो गया, जब पीएम मोदी ने ग्वालियर राजघराने द्वारा स्थापित सिंधिया स्कूल की 125वीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में ही सिंधिया को सलाह दे दी गई थी कि उन्हें भाजपा में अपनी महाराजा वाली छवि छोड़नी होगी, जहां विचारधारा पहले आती है।

पिछोर बूथ कार्यकर्ता बैठक में नए रूप वाले सिंधिया ने एक घंटे से अधिक समय तक चले अपने भावपूर्ण संबोधन में, जितना कांग्रेस पर हमला किया, उतना ही भाजपा के लिए अच्छी बातें भी कही। उन्होंने कहा कि 2003 (जब बीजेपी सत्ता में आई) से पहले मध्य प्रदेश की ऐसी हालत थी कि हमें पता ही नहीं चलता था कि नाली कहां है और सड़क कहां से शुरू होती है। उन्होंने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि अगर हमारे पीएम साल भर में 18 घंटे दे सकते हैं तो हम मध्य प्रदेश के लिए 25 दिन क्यों नहीं दे सकते?