MP Chunav Election Result 2018, MP Vidhan Sabha Election Chunav Result 2018: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। संभावना जताई जा रही है कि 14 दिसंबर को नए मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर अभी भी संशय बरकरार है। कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। हालांकि, नेता का नाम तय नहीं होने की वजह से राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया। नव निर्वाचित विधायकों की बैठक में विधायक दल के नेता के नाम पर सहमति नहीं बन सकी। ऐसे में कांग्रेस विधायकों ने सर्वसम्मति से फैसला हाईकमान पर छोड़ दिया है। ज्योतिरादित्य और कमलनाथ दो मुख्य दावेदार हैं। बताया जाता है कि विधायक दल की बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री के लिए कमलनाथ का नाम आगे बढ़ाया है।
बता दें कि पिछले 15 साल से कांग्रेस राज्य की सत्ता से बाहर थी। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस इस बार एकजुट होकर चुनाव लड़ा। भाजपा द्वारा लगातार हमले के बावजूद दिग्विजय सिंह भी चुपचाप पार्टी के लिए काम करते रहे। समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्होंने न सिर्फ पूरे राज्य का दौरा किया, बल्कि पार्टी की गुटबाजी भी खत्म करने में सफलता पाई। इनके साथ ही सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने युवाओं के बीच पार्टी की पकड़ को मजबूत बनाया। ग्वालियर-चंबल जैसे इलाकों में कांग्रेस को बढ़त दिलवाई।
राज्य में 230 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस को 114, भाजपा को 109, बसपा को 2 और अन्य को 5 सीटें मिली। चुनावी नतीजों के बाद भाजपा ने पहले सरकार बनाने का दावा ठोका था, लेकिन सपा और बसपा द्वारा कांग्रेस को समर्थन दिए जाने के बाद सीएम शिवराज ने कहा कि वे संख्याबल के आगे सिर झुकाते हैं। उन्होंने अपनी हार मानते हुए इस्तीफा दे दिया। इसके बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि हमसे कोई गलती हो गई तो माफ करें। हमने राज्य के विकास के लिए काम किया। अब चौकीदारी की जिम्मेदारी हमारी है।
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Election Result 2018 Highlights: Rajasthan | Telangana | Mizoram | Madhya Pradesh | Chhattisgarh Election Result 2018
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कहा, 'भाजपा गलत नीतियों की वजह से हारी है। भाजपा से जनता परेशान हो चुकी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के शासन में यहां काफी उपेक्षा हुई है। आजादी के बाद केंद्र और राज्य में ज्यादातर जगह कांग्रेस ने ही राज किया है। मगर कांग्रेस के राज में भी लोगों का भला नहीं हो पाया। अगर कांग्रेस बाबा साहब अंबेडकर के साथ मिलकर विकास का काम सही से किया होता तो बसपा को अलग पार्टी बनाने की जरूरत नहीं पड़ती।'
मायावती ने कांग्रेस को समर्थन देने से पहले उसे फटकार लगाई, उसके बाद उन्होंने समर्थन देने का एलान किया। इसके साथ ही मायावती ने कहा कि राजस्थान में जरूरत पड़ी तो वहां भी कांग्रेस को समर्थन दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ और सिंधिया के बीच इस पद के लिए कांटे की टक्कर है, लेकिन कमलनाथ का पलड़ा भारी है। विधायकों की बैठक प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लगभग दो घंटे तक चली इसके बाद पार्टी पर्यवेक्षकों के तौर पर यहां आये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और कुंवर भंवर जितेन्द्र सिंह द्वारा विधायकों से अलग-अलग राय ली जा रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपे अपने पत्र में कहा, 'विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में सबसे बड़े दल के तौर पर सामने आई है और कांग्रेस को बहुमत हासिल है। बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस के प्रति समर्थन व्यक्त किया है।' उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि कांग्रेस को प्रदेश में सरकार बनाने का अवसर दिया जाए।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने बताया, 'पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों ने एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को अधिकार दिया है कि वह मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला करें। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक आरिफ अकील ने इस आशय का प्रस्ताव विधायकों की बैठक में रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल के नेता कमलनाथ चुने गए हैं। वे मुख्यमंत्री हो सकते हैं। लेकिन इसकी अधिकारिक घोषणा राहुल गांधी करेंगे। विधायकों ने सीएम का नाम तय करने फैसला आलाकमान राहुल गांधी पर छोड़ा है। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार दोपहर राजभवन में प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भेंट कर उनके समक्ष राज्य में पार्टी की सरकार बनाने का दावा पेश किया।
मुख्यमंत्री को लेकर एक सर्वे किया गया सर्वे में लोगों से पूछा गया कि वह किसे मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। यह सर्वे आजतक की तरफ से कराया गया। इसमें 53 फीसदी लोगों की पसंद ज्योतिरादित्य सिंधिया थे। वहीं 41 फीसदी के साथ कमलनाथ दूसरे नंबर पर थे।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में एक लाइन का एक प्रस्ताव पास किया गया है कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह कांग्रेस हाई कमान तय करेगा।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। इस बीच राज्यपाल ने कहा कि पहले कांग्रेस होने वाले मुख्यमंत्री का नाम फाइनल करे।
मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद का आरोप लगाया है। उधर मायावती ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। मायावती ने कहा कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को समर्थन।
कांग्रेस ने चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन होने का दावा किया है। मध्य प्रदेश के भोपाल में कांग्रेस के विधायक दल की बैठक चल रही है।
कौन होगा राज्य का मुख्यमंत्री इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है। आज कांग्रेस नेता कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यपाल से मिलने पहुंचे थे और सरकार बनाने का दावा भी पेश किया था।
मध्य प्रदेश के होने वाले नए सीएम 14 दिसंबर को पद और गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले नेताओं को इस शपथ ग्रहण समारोह में बुलाकर अपनी शक्ति प्रदर्शन करेगी।
शिवराज सिंह ने कहा, "विपक्ष भी मजबूत है। हमारे पास 109 विधायक हैं। मेरा काम रचनात्मक सहयोग है। चौकीदारी की जिम्मेदारी हमारी है।"
शिवराज सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैंने 13 साल तक प्रदेश के विकास के लिए काम किया। जनता की सेवा की। कल्याणकारी योजनाएं चलाई। आज भी हम जनता के फैसले का सम्मान करते हैं। यदि किसी को मेरी वजह से कष्ट हुआ है तो मुझे माफ कर दें। मैंने कभी किसी का दिल नहीं दुखाया।"
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि हम जनादेश का सम्मान करते हैं। मध्य प्रदेश की जनता को धन्यवाद देते हैं। हमने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है। भाजपा ने लोगों को बांटा है और नफरत फैलायी है। आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका करारा जवाब मिलेगा।
कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी के शानदार प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए बुधवार को कहा कि यह भाजपा की ‘नकारात्मक राजनीति’ पर जीत मिली है। सोनिया की यह प्रतिक्रिया उस वक्त आई है जब कांग्रेस इन तीनों हिंद भाषी प्रदेशों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भाजपा की ‘नकारात्मक राजनीति पर जीत’ मिली है।
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य ने कहा कि सबसे पहले मैं राज्य की तमात जनता को धन्यवाद देता हूं। हमें एक साथ मिलकर राज्य में नया सवेरा लाना है। जनता के लिए हमने आने मांग पत्र में जो मुद्दे उठाए हैं, उसे पूरा करना है। हमारे पत्र में 60 महीनों का मॉडल दिया गया है। एक-एक दिन कीमती है। हमें विकास का कार्य करना है। रोजगार, महिला सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे तमाम क्षेत्रों में हमें अभूतपूर्व कार्य करना है।
कांग्रेस नेता कमलनाथ कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनके आवास पहुंचे। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के साथ राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे थे तथा सरकार बनाने का दावा पेश किया। हालांकि, नेता का नाम तय नहीं होने की वजह से राज्यपाल ने कांग्रेस को सरकार बनाने का न्यौता नहीं दिया है।
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। इसके साथ ही अब एक नया सस्पेंस कायम हो गया है कि राज्य के अगले मुख्यमंत्री कौन बनेंगे? कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के नाम पर सस्पेंस बना हुआ है।
मध्य प्रदेश चुनाव रिजल्ट के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस ने आज राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर 121 विधायकों के समर्थन की सूची सौंपी। बता दें कि कांग्रेस पार्टी के 114 विधायक, सपा के 1, बसपा के 2 और 4 निर्दलीय विधायकों के नाम इस लिस्ट में शामिल हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने पक्ष में नतीजा आने के बाद कांग्रेस प्रतिनिधि सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलने पहुंचे हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव में हार स्वीकार करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कांग्रेस को बधाई देते हुए कहा, "हम संख्याबल में पीछे रह गए। हम सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे। हार की जिम्मेदारी मेरी है।"
राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कांग्रेस प्रतिनिधियों को दोपहर 12 बजे मिलने का समय दिया है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यपाल से मुलाकात करेंगे।
प्रदेश के चुनावी नतीजों के बाद सीएम शिवराज के सरकारी आवास पर भाजपा की बैठक चल रही है। इस बैठक में विनय सहस्त्रबुद्धे भी मौजूद हैं। इसमें आगामी रणनीतियों पर चर्चा की जा रही है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा, "भाजपा और कांग्रेस किसी ने दलितों का भला नहीं किया। यही वजह रही कि हमने बहुजन समाज पार्टी बनाई। हमने कांग्रेस और भाजपा दोनों से मुकाबला किया। हमारी पार्टी ने भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए लड़ाई लड़ी। विकल्प के अभाव में न चाहते हुए भी जनता ने कांग्रेस को चुना। ऐसी स्थिति में भाजपा को रोकने के लिए हमने कांग्रेस को समर्थन देने का निर्णय लिया है।"
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती मध्य प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन करेंगी। उन्होंने इस बात की घोषणा कर दी। मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी खुद 114 सीटें जीत चुकी है। मायवती की पार्टी बसपा के पास भी 2 सीटें हैं। ऐसी स्थिति में मायावती द्वारा समर्थन की घोषणा के बाद कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 116 के आंकड़े को वह आसानी से प्राप्त कर लेगी।
यह चुनाव परिणाम कई मामलों में चाैंकाने वाला भी रहा। बुरहानपुर से निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह ने जहां सरकार में मंत्री और भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस को शिकस्त दी, वहीं, भाजपा की उषा ठाकुर तीन बार क्षेत्र बदलने के बावजूद भी चुनाव जीत गई। कई दिग्गज चेहरे जैसे चुरहट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह, भोजपुर से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश पचौरी, हाटपीपल्या से भाजपा प्रत्याशी दीपक जोशी, मुरैना से भाजपा प्रत्याशी रूस्तम सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
मात्र 109 सीटों पर जीत के बावजूद भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा ठोका है। भाजपा सांसद राकेश सिंह ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस को जनादेश नहीं है। कई निर्दलीय और अन्य भाजपा के संपर्क में हैं। कल राज्यपाल महोदया से मिलेंगे।
मध्यप्रदेश में सभी 230 सीटों के चुनावी नतीजे सामने आने के बाद तस्वीर साफ हो गई है कि कांग्रेस को यहां सरकार बनाने में चार निर्दलीय उम्मीदवारों में से एक की अथवा समाजवादी पार्टी के इकलौते विधायक की सहायता लेनी पड़ेगी। कांग्रेस के खाते में 114 और भाजपा के खाते में 109 सीटें गई हैं। इसके अलावा मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी को दो सीटें मिली हैं और अखिलेश यादव नीत समाजवादी पार्टी को एक सीट मिली है। चार निर्दलीय उम्मीदवारों को भी चुनाव में जीत हासिल हुई है।
शिवराज सरकार के मंत्रियों सहित भाजपा के कई दिग्गजों को भी हार का सामना करना पड़ा है। इनमें सांसद अनूप मिश्रा, पूर्व मंत्री रंजना बघेल, निर्मला भूरिया, चौधरी राकेश सिंह, चौधरी चंद्रभान सिंह, प्रेमनारायण ठाकुर, सुदर्शन गुप्ता और केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत के बेटे जीतेंद्र गेहलोत भी शामिल हैं।
शिवराज सरकार के करीब एक दर्जन मंत्रियों को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। इनमें ओम प्रकाश धुर्वे, लालसिंह आर्य दीपक जोशी, अर्चना चिटनीस, जयभान सिंह पवैया, ललिता यादव, अंतरसिंह आर्य, रूस्तम सिंह, शरद जैन, उमाशंकर गुप्ता, बालकृष्ण पाटीदार जैसे नाम शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की जीत के पीछे राज्य के तीन नेताओं की कड़ी मेहनत बताई जा रही है। इन तीन नामों में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस इस बार एकजुट होकर चुनाव लड़ा। भाजपा द्वारा लगातार हमले के बावजूद दिग्विजय सिंह भी चुपचाप पार्टी के लिए काम करते रहे। समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्होंने न सिर्फ पूरे राज्य का दौरा किया, बल्कि पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी भी खत्म करने में सफलता पाई। इनके साथ ही सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने युवाओं के बीच पार्टी की पकड़ को मजबूत की। यही वजह रही कि ग्वालियर-चंबल जैसे इलाकों में कांग्रेस को बढ़त मिली।
राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बाद कांग्रेस ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात का समय मांगा है।
कई दिग्गज चेहरे जैसे चुरहट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह, भोजपुर से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश पचौरी, हाटपीपल्या से भाजपा प्रत्याशी दीपक जोशी, मुरैना से भाजपा प्रत्याशी रूस्तम सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
राज्य में 230 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव परिणाम जारी हो गए। इस चुनाव में कांग्रेस को 114, भाजपा को 109, बसपा को 2 और अन्य को 5 सीटें मिली है। राज्य में बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत है।
ईवीएम को लेकर राहुल गांधी ने कहा, "जहां तक ईवीएम की बात है, इससे जुड़े कई मसले हैं। अगर लोग ईवीएम से संतुष्ट नहीं है तो यह एक बड़ा मसला है जिसे हल किया जाना जरूरी है।" उन्होंने आगे कहा, "अगर चिप से छेड़छाड़ हुई है तो यह पूरे वोटिंग सिस्टम पर असर डाल सकता है। लेकिन ऐसा मैनुअल वोटिंग में नहीं हो सकता है। यूके और अन्य कई देशों में लोगों को ईवीएम नहीं चाहिए थी।"
बीजेपी की विचारधारा पर हमला बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, "सपा, बसपा और कांग्रेस की विचारधारा एक है जो बीजेपी से अलग है।" वहीं मुख्यमंत्री पद की दावेरदारी को लेकर उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। इस काम को आराम से पूरा किया जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रेस वार्ता शुरू हो गई है। उन्होंने तेलंगाना और मिजोरम में जीतने वाली पार्टियों को बधाई दी है। वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की जीत पर उन्होंने कहा, "यह जीत कांग्रेस के वरकर्स, छोटे व्यापारियों और किसानों की जीत है। कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक बड़ी जिम्मेदारी है और हम इस पर काम करेंगे।"
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब से थोड़ी ही देर में प्रेस वार्ता करेंगे। सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे अब तय हो चुके हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत तय है। हालांकि मध्यप्रदेश में अभी किसी को भी बहुमत नहीं मिला है।