Loksabha Election Results 2019: एनडीए संसदीय दल के नेता और बीजेपी के फायरब्रांड फेस बन चुके नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण से ऐन पहले बुधवार (29 मई, 2019) देर शाम पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महासचिव रामलाल के बीच बैठक हुई। सूत्रों के हवाले से कुछ टीवी रिपोर्ट्स में कहा गया कि दोनों नेताओं के बीच उस दौरान नए मंत्रिमंडल को लेकर महामंथन हुआ। इसी बीच, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, मोदी से मिलने उनके आवास पहुंचे।

वहीं, लगभग नौ बजे मोदी, पार्टी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने उनके आवास पहुंचे। माना जा रहा है कि इस भेंट में मोदी ने जेटली को उनके फैसले (सरकार में न रहने को लेकर) पर पुनःविचार करने के लिए कहा।

दरअसल, जेटली ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए नए मंत्रिमंडल में रहने पर असमर्थता जाहिर की थी। मोदी के नाम पत्र जारी कर उन्होंने कहा था कि अब वह कुछ समय खुद को और स्वास्थ्य को देना चाहते हैं, लिहाजा उन्हें नई सरकार में न शामिल किया जाए।

मोदी के ‘चाणक्य’ माने जाते थे जेटलीः अरुण जेटली को कुछ लोग मोदी के वास्तविक ‘चाणक्य’ और 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में मोदी के कार्यकाल के शुरू में प्रदेश में दंगों के बाद उनके ‘संकट के साथी’ कहते हैं। जेटली की तरीफ में मोदी उन्हें ‘बेशकीमती हीरा’ बता चुके हैं। दिल्ली विश्व विद्यालय के छात्र संघ की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने वाले जेटली पेशे से अधिवक्ता रहे हैं। वह शुरू से ही सत्ता के सूत्र संचालन को अच्छी तरह समझे रहे है।

मोदी के मुख्य योद्धा और सलाहकार भीः वह 1990 के दशक के आखिरी वर्षों से दिल्ली में मोदी के आदमी माने जाते थे। गुजरात दंगों से जुड़ी मोदी की कानूनी उलझनों से पार पाने में उनको कानूनी सलाह देने वाले विश्वसनीय सलाहकार की भूमिका निभाने वाले जेटली बाद में मोदी के मुख्य योद्धा और सलाहकार के रूप में उभरे।