लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में अभी कुछ ही समय शेष है। ऐसे में तमाम राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों का ऐलान करने से लेकर दूसरे दलों के साथ गठबंधन करने में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहां INDIA गठबंधन बिखरता जा रहा है वहीं, चुनाव नजदीक आते ही एक और गठबंधन आकार ले रहा है। अपने प्रतिद्वंद्वियों से एक कदम आगे रहते हुए और लोगों को आश्चर्यचकित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा पिछले कुछ दिनों में तीन महत्वपूर्ण गठबंधन बनाने में कामयाब रही है, साथ ही कुछ और गठबंधन अभी कर सकती है।

पीएम मोदी ने NDA के लिए 400 से अधिक सीटें तो वहीं, बीजेपी के लिए 370+ सीटों के लक्ष्य की घोषणा की थी। उस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि लोग उनके प्रतिद्वंद्वियों को फिर से केवल विपक्षी बेंच तक ही सीमित नहीं रखेंगे बल्कि वो और अधिक ऊंचाई हासिल कर सकते हैं और जल्द ही केवल सदन की सार्वजनिक दीर्घाओं में ही देखे जाएंगे।

जीत के लिए भाजपा की तैयारी

भाजपा के चुनावी अभियान का चेहरा होने के अलावा इस गठबंधन में मोदी का टच भी है, जिसमें जीत के बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री ने अतीत को पीछे छोड़ते हुए उन साझेदारों को भी साथ ले लिया है जिन्होंने अतीत में उनके साथ व्यक्तिगत दुर्व्यवहार किया था।

मामला JDU सुप्रीमो नीतीश कुमार का है, जो 2015 में खासतौर पर पीएम मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के आधार पर भाजपा से अलग हो गए थे। हालांकि बाद में वह एनडीए में लौट आए लेकिन दोबारा बाहर निकलने के बाद वह फिर से बीजेपी और पीएम मोदी पर हमलावर हो गए। हाल ही में नवंबर में, नीतीश ‘वन-मैन शो’ होने के लिए मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के प्रति नीतीश का ताजा यू-टर्न तब आया जब मोदी ने उन्हें एनडीए में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने का बीड़ा उठाया।

पुरानी बातों को नजरंदाज कर रहे PM मोदी

टीडीपी एक अन्य पूर्व सहयोगी है जो एनडीए में लौट आया है। अप्रैल 2019 में इसके सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने मोदी को ‘कट्टर आतंकवादी’ बताया था। नायडू ने कहा था, “यहां मौजूद अल्पसंख्यक समुदाय के मेरे भाइयों से मेरा केवल एक ही अनुरोध है कि अगर आप मोदी को वोट देते हैं, तो कई समस्याएं पैदा होंगी।” सूत्रों का कहना है कि जब दोनों दलों के बीच बातचीत शुरू हुई तो भाजपा नेताओं ने इसे उठाया लेकिन पीएम मोदी ने उन्हें पार्टी के व्यापक हित में इसे जाने देने की सलाह दी।

ओडिशा में मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से बीजद के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध सुनिश्चित किए है। अब राज्य में भाजपा के उदय के बावजूद इसे गठबंधन में बदलने की तैयारी है। तमिलनाडु में भाजपा ने अभी तक अपने पूर्व सहयोगी अन्नाद्रमुक को नहीं छोड़ा है। इस बीच पार्टी ने छोटे, अलग हुए गुट के साथ-साथ राज्य में अन्य छोटे दलों और समूहों के साथ जोड़ किया है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मोदी टिकट वितरण से लेकर चुनाव योजना के हर छोटे पहलू में शामिल हैं। इसका मतलब यह है कि पहली लिस्ट में 195 नामों की घोषणा के बावजूद बहुत कम या कोई असंतोष नहीं है, जिसमें 33 मौजूदा सांसदों को हटा दिया गया है।

बिखरा-बिखरा है INDIA गठबंधन

अब INDIA गठबंधन पर नजर डालें तो जहां तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए। वहीं, महाराष्ट्र में साझेदार संघर्ष कर रहे हैं कि एक व्यवस्था तक पहुंचें। कांग्रेस के सहयोगी दलों के नेता नियमित रूप से एक-दूसरे के खिलाफ बोलते रहते हैं।

केरल में जहां कांग्रेस और वाम दलों के मुख्य प्रतिद्वंद्वी होने के कारण गठबंधन में टकराव है। सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कांग्रेस पर हमला करते रहते हैं। यहां वामपंथियों ने कई बार राहुल गांधी से वायनाड सीट से चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा है, जो उन्होंने पिछली बार जीती थी। सीपीआई ने इस सीट से एक मजबूत उम्मीदवार एनी राजा को मैदान में उतारा है।