हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पाटी की चुनाव कमान पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकर के हाथ में है और उनके लिए 2014 व 2019 के आम चुनावों में भाजपा ने जो सभी चारों सीटें जीती थीं, उसे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह प्रदेश में बरकरार रखना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। उधर, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और राज्यसभा चुनाव में अभिषेक मनु सिंघवी की हार के बाद सत्ताधारी पार्टी पूरी तरह से चौकन्नी हो गई है। यही कारण है कि विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा कम होने के बावजूद भी अपने दो विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतार दिया है।

मंडी से विक्रमादित्य और शिमला से विनोद हैं उम्मीदवार

मंडी से वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य व शिमला आरक्षित से छह बार लगातार लोकसभा का चुनाव जीत कर अब तक अजेय रिकार्ड बनाने वाले कृष्ण दत सुलतानपुरी के बेटे विनोद सुलतानपुरी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही विधायक मंजे हुए राजनीतिक परिवारों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन दोनों ही क्षेत्रों में मुकाबले को कड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। जय राम ठाकुर पर मंडी से कंगना रनौत को ही जिताने का जिम्मा नहीं है, बल्कि अन्य तीन सीटों पर भी जीत हासिल करना उनके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ हैं। मंडी से सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद हुए उपचुनाव में भले ही प्रतिभा सिंह 2021 में मामूली अंतर से चुनाव जीत गई थीं, मगर पिछले दो आम चुनावों में भाजपा ने मंडी समेत चारों सीटें अपने नाम की थीं।

2014 और 2019 की जीत को बरकरार रखना आसान नहीं

2014 में तो प्रचंड मोदी लहर थी जिसमें प्रदेश में उस समय कांग्रेस की सरकार होते हुए भी भाजपा सभी सीटें ले गई थी जबकि जीत का नया रिकार्ड तो 2019 में बना जब भाजपा ने लगभग 4 लाख के अंतर से सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा के लिए अब इसे बरकरार रखना पहले जैसा आसान नहीं है। भले ही नरेंद्र मोदी के नाम से ही लड़े जा रहे चुनाव में इस बार 400 पार का नारा दिया गया हो मगर अभी जहां तक हिमाचल प्रदेश की बात है यहां पर मोदी लहर जैसा कुछ नहीं दिख रहा है।

अनुराग सिंह ठाकुर कर रहे पांचवीं जीत के लिए मशक्कत

हमीरपुर संसदीय सीट से अनुराग सिंह ठाकुर अपने बढ़े हुए कद के बल पर अच्छी स्थिति में जरूर हैं मगर अभी यहां से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। अनुराग सिंह ठाकुर लगातार चार बार सांसद रह चुके हैं और इस बार पांचवीं जीत के लिए वे पूरी तरह से उम्मीद से भरे हुए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी इसी संसदीय क्षेत्र से हैं मगर इसके बावजूद भी कांग्रेस कोई दमदार उम्मीदवार उनके खिलाफ अभी तक उतार नहीं पाई है। कांगड़ा में भी भाजपा के डॉ. राजीव भारद्वाज के मुकाबले कांग्रेस ने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है। यहां पर भाजपा प्रचार के मामले में बहुत आगे निकल चुकी है जबकि कांग्रेस अभी उम्मीदवार की ही तलाश कर रही है। मंडी में सिने तारिका कंगना रनौत को वीरभद्र सिंह के बेटे शिमला ग्रामीण से विधायक व प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह से कड़ी चुनौती पेश कर दी है।

मंडी एक तरह से वीरभद्र परिवार की ही पारंपरिक सीट रही है। वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह छह बार यहां से सांसद रह चुके हैं। अब कंगना को लेकर कांग्रेस यह प्रचार कर रही है कि ये बालीवुड के लोग जीतने के बाद कभी अपने क्षेत्र में नहीं आते। जनता को अपने सांसद को ढूंढने के लिए मुंबई जाना पड़ेगा। कांग्रेस ने तो कंगना रनौत को जय राम ठाकुर का रक्षा सूत्र तक बता दिया है। यानी जय राम ठाकुर ने अपनी जान बचाने के लिए कंगना रनौत को मुंबई से लाकर यहां से उम्मीदवार बनाए जाने की वकालत की थी।

कंगना के बयान भी भाजपा के लिए गले की फांस बनते दिख रहे हैं। उससे विपरीत विक्रमादित्य सिंह को ज्यादा सुलभ व सुलझा हुआ उम्मीदवार माना जा रहा है। ऐसे में मंडी में अभी तक भाजपा के लिए पिछले दो चुनावों जैसा सुरक्षित किला नहीं लग रहा है। इसी तरह शिमला से कांग्रेस के उम्मीदवार विनोद सुलतानपुरी जो कसौली से विधायक हैं के लिए शिमला क्षेत्र पारंपरिक गढ़ ही रहा है क्योंकि उनके पिता कृष्ण दत सुलतानपुरी 1980 से 1998 तक लगातार छह बार यहां से सांसद रह चुके हैं। शिमला में भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप पर ही भरोसा जताया है। यहां से उसे अपने दो बार 2004 व 2009 में सांसद वीरेंद्र कश्यप की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है।