Lok Sabha Election 2019 में फिर से सत्ता वापसी के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रही कांग्रेस में इन दिनों पुराने नेताओं के सक्रियता से मैदान में वापसी का दौर चल रहा है। सक्रिय चुनावी राजनीति से दूर हो चुके कई दिग्गज फिर से मैदान में हैं। 2014 के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा था, इसके बाद हुए अलग-अलग चुनावों में एक-एक करके कई दिग्गज फिर लौट आए हैं। इसी बीच राहुल गांधी को भी अध्यक्ष पद की कमान मिली है। ऐसे में पार्टी युवा नेतृत्व के साथ अनुभव के मिश्रण को ही सफलता का फॉर्मूला बनाना चाहती है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को काफी हद तक इसका फायदा भी मिला है। इस बार लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह, शीला दीक्षित और भूपेंद्र हुड्डा जैसे नेता भी मैदान में हैं। इससे पहले विधानसभा चुनावों में भी कमल नाथ, अशोक गहलोत जैसे नाम सामने आए थे। आइए डालते हैं एक नजर कांग्रेस कैसे पुराने दिग्गजों पर भरोसा जता रही है।
दिग्विजय सिंहः 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह 2003 के बाद से कोई चुनाव नहीं लड़े हैं। 72 साल के दिग्विजय 16 साल बाद एक बार फिर वे चुनाव लड़ने जा रहे हैं। 2003 में मध्य प्रदेश से सत्ता गंवाने के बाद दिग्विजय कांग्रेस के लिए कई अहम मोर्चों पर तैनात रहे। हाल ही में मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। कांग्रेस ने उन्हें इस चुनाव में कांग्रेस के लिए ‘मुश्किल लोकसभा सीट’ भोपाल से मैदान में उतारा है। 30 सालों से बीजेपी यहां लगातार जीत रही है। इस बार उनके मुकाबले साध्वी प्रज्ञा मैदान में है।
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शीला दीक्षितः तीन बार लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं सीनियर नेता शीला दीक्षित को इस बार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया है। विधायक, सांसद, केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल जैसे पदों पर रह चुकीं 81 वर्षीय शीला दीक्षित दिल्ली में कांग्रेस की सबसे कद्दावर नेता मानी जाती हैं। शीला को इस बार दिल्ली उत्तर-पूर्व लोकसभा सीट से मौका दिया गया है। यहां उनका मुकाबला दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी से होगा। उनके सामने पिछले दिल्ली विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बुरे दौर में गई कांग्रेस को उबारने की चुनौती होगी। उनके साथ-साथ दिल्ली से जेपी अग्रवाल और अजय माकन जैसे पुराने नेताओं को भी मौका मिला है।
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भूपेंद्र सिंह हुड्डाः करीब नौ साल तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे 71 वर्षीय भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इस बार कांग्रेस ने सोनीपत सीट से मैदान में उतारा है। राज्य से केंद्र तक कई अहम पदों पर रहे हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरों में शुमार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा में एक भी सीट नहीं मिली थी, इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी। ऐसे में उनके सामने भी सत्ता वापसी की चुनौती होगी। इसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होना है, ऐसे में हुड्डा की नजर लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी रहेगी।
गहलोत-कमल नाथ पर भरोसे का मिला फलः सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनावों में भी नए पुराने के कॉम्बिनेशन पर भरोसा जताया है। उदाहरण के तौर पर हाल ही में राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उनके साथ-साथ सचिन पायलट को उप-मुख्यमंत्री पद दिया। चुनाव में भी इन दोनों ने खासी मशक्कत की थी। इसी तरह मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपने सबसे सीनियर लोकसभा सांसद रहे कमल नाथ को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर मैदान में उतारा और चुनाव के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी गई। उनके साथ-साथ युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रचार की बागडोर सौंपी गई। हाल ही में सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी भी बनाया गया।