Lok Sabha Election 2019: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को डिबेट के दौरान ललुआ कहने पर न्यूज एंकर पर आरजेडी समर्थक बुरी तरह भड़क गए। कार्यक्रम के बीच वे मंच पर चढ़ और एंकर पर चिल्ला-चिल्लाकर नाराजगी जाहिर करने लगे। धमकाते हुए बोले कि ललुआ कौन बोला? आप हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अपशब्द नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, हालात हाथ से बाहर होते, इससे पहले एंकर ने माफी मांगी और बहस में दोबारा से सवाल-जवाब करना शुरू कर दिया।
यह घटना बिहार के मुंगेर जिले में जुड़ी है। एबीपी न्यूज की लाइव डिबेट में एंकर अनुराग मुस्कान नेताओं से सवाल कर रहे थे। उसी दौरान लालू के लिए ‘ललुआ’ शब्द इस्तेमाल किया। बहस आगे बढ़ती, उसी बीच कुछ लालू समर्थक मंच पर जबरन आए और मुस्कान से उलझने लगे।
पत्रकार ने जवाब देते हुए कहा, “प्यार से बोले (ललुआ) थे।” फिर भी लालू समर्थक माने नहीं और उन्हें धमकाते रहे। रहने समर्थक बोले- आप मामला खराब करते हैं…ललुआ कौन बोला? आप लालू यादव बोलिए। वह हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आप उनके लिए अपशब्द नहीं बोल सकते हैं।
इस घटना के बाद आरजेडी ने टि्वटर पर मामले का वीडियो भी पोस्ट किया। नाराजगी जताते हुए उसके साथ लिखा, “एबीपी न्यूज के पत्रकार अनुराग मुस्कान ने अकारण जातिवादी सोच के चलते लालू जी को जातिसूचक, हेयसूचक “ललुआ” कहा! पत्रकारिता धर्म का निर्वाह हो! पत्रकारिता निम्नतम स्तर पर पहुंच चुकी है! जिस जातिवाद के खिलाफ, दलित पिछड़ों के सम्मान की लालू जी ने जंग लड़ी वह जंग आज भी जारी है!”
देखें, पूरी क्लिपः
चैनल ABP के पत्रकार अनुराग मुस्कान ने अकारण अपनी जातिवादी सोच के कारण लालू जी को जातिसूचक, हेयसूचक "ललुआ" कहा!
पत्रकारिता धर्म का निर्वाह हो! पत्रकारिता निम्नतम स्तर पर पहुँच चुकी है!
जिस जातिवाद के विरुद्ध, दलित पिछड़ों के सम्मान की लालू जी ने जंग लड़ी वह जंग आज भी जारी है! pic.twitter.com/GmI5f7EndA— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) April 13, 2019
हालांकि, बाद में मुस्कान ने गलती मानी। उन्होंने उस क्लिप को रीट्वीट करते हुए लिखा, “कई दिनों से बिहार में हूं। यहां लोगों के मुंह से लालू जी के लिए लाड और प्यार से अक्सर ये संबोधन सुना। मैंने लाइव डिबेट में इस संबोधन पर आपत्ति जताए जाने के बाद अपने स्पष्टिकरण में भी यही कहा, लेकिन फिर भी अगर इस शब्द से किसी की भावनाओं को ठेस पंहुची हो तो मुझे बेहद खेद है।”
