Lok Sabha Election 2019 के लिए लगभग आधी सीटों पर मतदान हो चुका है। अगले चरण यानी 29 अप्रैल को मध्य प्रदेश में भी मतदान का आगाज हो जाएगा। 29 लोकसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश को ‘हिंदी हार्ट लैंड’ का महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है। लंबे समय से यह राज्य भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बना हुआ था, लेकिन 5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में यहां की सियासत कुछ-कुछ उलटती-सी नजर आई। विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं दिया, लेकिन कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी और सरकार बनाने में सफल रही। अब लोकसभा चुनाव शुरू हो चुके हैं। ऐसे में इन 5 महीनों के दौरान मध्य प्रदेश की जनता का मिजाज कितना बदला? आइए, इस सवाल का जवाब ग्राउंड जीरो पर खड़ी मध्य प्रदेश की जनता से ही जानते हैं…
विधानसभा में यूं हुई थी जद्दोजहदः 15 साल तक बीजेपी की सरकार रहने के बाद कांग्रेस ने बमुश्किल ही सही, लेकिन यहां की सत्ता में वापसी की। राज्य में 230 विधानसभा सीटें हैं। बहुमत के लिए 116 की जरूरत होती है, लेकिन कांग्रेस 114 और बीजेपी महज 109 पर अटक गई। किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। हालांकि सीटों के लिहाज से नंबर-1 बनी कांग्रेस वोट शेयर के लिहाज से दूसरे नंबर पर रही। बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले तो कांग्रेस को 40.9 फीसदी पर ही संतोष करना पड़ा। किसी को बहुमत न मिलने की स्थिति में छोटी पार्टियों और निर्दलीयों की भूमिका बेहद अहम हो गई। दो विधायकों वाली बहुजन समाज पार्टी और एक विधायक वाली समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन दिया और कमल नाथ मुख्यमंत्री बन गए। इनके अलावा कांग्रेस को चार निर्दलीय विधायकों ने भी समर्थन दिया। इस तरह शिवराज सिंह चौहान के हाथ से 13 साल बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी निकल गई।
कमल नाथ सरकार पर जनता की रायः कमल नाथ सरकार के कार्यकाल को लगभग चार महीने से थोड़ा ज्यादा समय बीत चुका है। किसानों की कर्जमाफी के वादे पर बनी इस सरकार ने सबसे पहला काम कर्जमाफी की शुरुआत करके ही किया। भोपाल के डॉ. साकिब अहमद सिद्दीकी कमल नाथ सरकार के काम से काफी हद तक संतुष्ट नजर आए। उनका कहना है कि आचार संहिता लगने के चलते इस सरकार को बहुत ज्यादा समय नहीं मिला] लेकिन कर्जमाफी, पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश जैसे कई महत्वपूर्ण काम शुरू हो गए हैं और आने वाले समय में वह मौजूदा सरकार के प्रति आशावान हैं।
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शिवराज की हार को जनता भी नहीं भूलीः मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में जब हम जनता से मिले। मोटे तौर पर एक बात यह भी निकलकर आई कि कमल नाथ सरकार के प्रति भले ही अभी लोग कोई राय नहीं बना रहे, लेकिन शिवराज के जाने से वे खुश नहीं हैं। उज्जैन में अपना ढाबा चलाने वाले नरेंद्र यादव और उनके साथी पवन माली कहते हैं कि जनता ने शिवराज को हराकर गलती की और इसका एहसास है। इस एहसास की वजह पूछने पर वे युवा स्वरोजगार, लाडली लक्ष्मी जैसी कुछ योजनाओं का नाम जरूर बताते हैं, लेकिन नई सरकार से भी उन्हें निराशा नहीं है। राजधानी भोपाल में रहने वाले टैक्स कंसल्टेंट अक्षय जैन कहते हैं कि कांग्रेस सरकार के आते ही अघोषित बिजली कटौती का दौर फिर से शुरू हो गया है। ऐसे में फिर से शिवराज सरकार की याद आने लगी है। बता दें कि इसी हफ्ते कमल नाथ सरकार ने भी बिजली कटौती के मुद्दे पर सतर्कता दिखाई है।

‘ओवर कॉन्फिडेंस में हारी थी बीजेपी’: उज्जैन में रहने वाले रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी तेजकरण शर्मा शिवराज सरकार की हार की वजह को ओवर कॉन्फिडेंस बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ‘थोड़ी लापरवाही और यह सोच कि हम तो जीत ही रहे हैं’ की वजह से हारी। अब उनको समझ आ गया है कि लापरवाही नहीं बरतनी है। जो काम शिवराज जी कर गए हैं, शायद वह कमल नाथ नहीं कर पाएंगे।’ उज्जैन में टैक्सी चलाने वाले अमजद खान ने भी युवा-स्वरोजगार योजना का जिक्र करते हुए कहा कि वह फिर से शिवराज की वापसी चाहते हैं।
‘नोटबंदी-जीएसटी फायदेमंद’: उज्जैन के छात्र गोलू कहते हैं, ‘बीजेपी के पक्ष में एकतरफा माहौल है। कुछ लोगों की वजह से बीजेपी हारी है। इसे कांग्रेस की सरकार भी नहीं कह सकते हैं, क्योंकि यह तो मिलीजुली सरकार है। मोदी सरकार की वापसी होगी, क्योंकि उन्होंने गरीबों के लिए काम किया है। जो लोग जानते नहीं थे कि बैंक क्या होता है, उनके भी खाते खुले हैं। नोटबंदी से कुछ दिन जरूर समस्या हुई थी, लेकिन बाद में लगा कि यह अच्छे के लिए किया गया था। जीएसटी फायदेमंद रहा, इसके आने से व्यापारियों ने पक्के बिल देने शुरू कर दिए हैं।’

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शिवराज हारे, क्या जीत पाएंगे मोदी?: विधासभा चुनाव में बीजेपी हार गई, लेकिन लोकसभा चुनाव में क्या बीजेपी पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएगी? पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 29 में से 27 सीटें जीती थीं। कांग्रेस सिर्फ कमल नाथ की छिंदवाड़ा और ज्योतिरादित्य सिंधिया की गुना सीट जीत पाई थी। हालांकि बाद में रतलाम लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस को जीत मिली थी। इस बार बीजेपी के लिए राज्य में मुकाबला उतना आसान नहीं दिख रहा। समर्थन मिला-जुला है, लेकिन कांग्रेस भी टक्कर देने की स्थिति में आ गई है।
मध्य प्रदेश की 29 सीटों पर मतदान कबः राज्य में चार चरणों में मतदान होगा। 29 अप्रैल को यहां मतदान का आगाज होगा। जानिए किस चरण में कहां मतदान होगा।
29 अप्रैल: सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा
6 मई: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद, बैतूल
12 मई: मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल, राजगढ़
19 मई: देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगोन, खंडवा