Khunti Lok Sabha Election 2024 Date, Candidate Name:: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक खूंटी लोकसभा सीट राज्य की सबसे वीआईपी सीटों में से एक है। भारतीय जनता पार्टी के अर्जुन मुंडा इस सीट से सांसद हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के काली चरण मुंडा को 1445 वोटों के अंतर से हराया था। अर्जुन मुंडा को 2019 के चुनाव में 381193 वोट प्राप्त हुए थे। खूंटी लोकसभा सीट पर 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी के करिया मुंडा ने तब जीत दर्ज की थी। अर्जुन मुंडा वर्तमान में मोदी सरकार में कृषि मंत्री भी हैं। खूंटी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मुख्य रूप से मुंडा जनजातियों के लिए जाना जाता है।

कैसे खूंटी की हुई स्थापना?

खूंटी क्षेत्र का पहले नाम खुंति था, लेकिन बाद में इसे बदलकर खूंटी कर दिया गया है। कहा जाता है कि छोटानपुर के राजा मदरा मुंडा के बेटे सेतिया के आठ बेटे थे। उन्होंने ही एक खुंटकटी गांव की स्थापना की जिसे उन्होंने खुंति नाम दिया और जो बाद में खूंटी हो गया। कुछ जगहों पर इसे महाभारत की कुंती से भी जोड़ा जाता है। यह क्षेत्र क्रांतिकारी नायक बिरसा मुंडा के लिए भी जाना जाता है। बिरसा मुंडा के नेतृत्व में ब्रिटिशों के खिलाफ लंबे समय तक चले संघर्ष को इतिहास में दर्ज किया गया है। इस क्षेत्र में अंगराबारी का शिव मंदिर धार्मिक रूप से बेहद लोकप्रिय जगह है।

खूंटी लोकसभा में आती हैं 6 विधानसभा सीटें

खूंटी लोकसभा सीट में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं जिनके नाम हैं- खरसावन, तमाड़, तोड़पा, खूंटी, सिमडेगा और कोलेबीरा का नाम शामिल है। इन 6 विधानसभा सीटों में कुल 5,98,630 पुरुष वोटर हैं। महिला मतदाताओं की संख्या 6,04,032 हैं। 2019 में कुल वोटरों की संख्या 8,32,377 थी। जिनमें से कुल पुरुष मतदाता 4,10,870 और महिला मतदाता 4,19,556 थीं। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 69.21% था। Bharatiya Janata Party के अर्जुन मुंडा वोटों 3,82,638 से जीत हासिल की।

भाजपा का गढ़ रही है खूंटी सीट

1962 में खूंटी सीट से झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा पहली बार सांसद बने थे। 1967 में उन्होंने फिर से इस सीट पर चुनाव जीत लिया था। 1971 में भी यह सीट झारखंड पार्टी के ही खाते में गई थी, लेकिन निरल एनेम होरो यहां से सांसद बने थे। 1977 में जनता पार्टी के करिया मुंडा ने पहली बार यहां से चुनाव जीता था। 1980 में यह सीट फिर से झारखंड पार्टी के खाते में गई थी और निरल एनेम होरो ने यहां से चुनाव जीता था। कांग्रेस पार्टी ने 1984 में पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी। सिमोन टिग्गा यहां से चुनाव जीते थे।

इसके बाद 1989, 1991, 1196, 1998, 1999 और 2004 में इस सीट पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की और करिया मुंडा सांसद रहे। 2004 में कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा ने यहां से जीत दर्ज की, लेकिन 2009, 2014 और फिर 2019 में यह सीट फिर से बीजेपी के खाते में चली गई।