कर्नाटक में कांग्रेस ने सूक्ष्म स्तर के प्रबंधन पर ध्यान दिया। केंद्रीय नेतृत्व ने 70 ऐसी सीटों की पहचान की, जहां थोड़ी मेहनत से जीत हासिल हो सकती थी। आठ महीने में पांच सर्वे किए गए। नेताओं के बयान, मुद्दे, प्रचार अभियान के तौर-तरीके, छोटी-बड़ी हर-एक बात का ध्यान रखा गया। पर्दे के पीछे बैठे जिस शिल्पकार ने कर्नाटक में कमाल दिखाया, वे सुनील कानूगोलू हैं, जिन्होंने वर्ष 2018 में भाजपा के लिए काम किया था।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘हमने आठ महीनों में पांच सर्वे किए।’ कुछ सीटों को छोड़कर उम्मीदवारों को मुख्य रूप से सुनील कानूगोलू की टीम द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर चुना गया था। उन सर्वेक्षणों के आधार पर कांग्रेस ने 70 खास सीटों की पहचान की। इनमें से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में पर्यवेक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई।
पिछले साल मई में कांग्रेस की तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कानूगोलू को पार्टी के 2024 लोकसभा चुनाव टास्क फोर्स का सदस्य नामित किया। इसमें पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, प्रियंका गांधी और रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे दिग्गज नेता शामिल हैं। सुरजेवाला कर्नाटक के प्रभारी नेता भी हैं। कानूगोलू वर्ष 2014 में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम के सदस्य होते थे। किशोर से अलग होने के बाद कानूगोलू ने 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के नामक्कू नामे अभियान का स्वरूप तैयार किया।
2021 में उन्होंने एआइएडीएमके को सलाह दी, लेकिन उसे सत्ता से बेदखल होने से नहीं रोक सके। उसी वर्ष कांग्रेस ने सोनिया और राहुल गांधी के साथ बैठक करने के बाद कर्नाटक के लिए कानूगोलू की कंपनी माइंडशेयर एनालिटिक्स की सेवाएं लीं। कानूगोलू को जानने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि वे अपनी सीमाएं जानते हैं।
कानूगोलू अपने को चर्चा में हीं रहने देते हैं। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक, वे पृष्ठभूमि में रहना पसंद करते हैं। मेरा मानना है कि वे अपने विचारों और विचारों को पार्टी पर नहीं थोपते। हर पार्टी की अपनी ताकत और कमजोरियां होती हैं। हर पार्टी के काम करने का तरीका अलग होता है। वे इसे समझते हैं और पार्टी के साथ काम करने की कोशिश करते हैं।