राज खन्ना
भाजपा खेमे के ‘गांधी परिवार’ की मौजूदगी के कारण सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर लोगों की निगाहें हैं। वरुण गांधी इस बार मां मेनका गांधी की सीट पीलीभीत से और मेनका गांधी पुत्र वरुण की सुल्तानपुर सीट से अपना दावा पेश कर रहे हैं। पीलीभीत में मतदान हो चुका है। फिलहाल मां-बेटे दोनों यहां ताबड़तोड़ जनसभाएं और जनसंपर्क कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार डॉ संजय सिंह की भी इस सीट पर प्रतिष्ठा दांव पर है। गठबंधन में यह सीट बसपा के हिस्से में गई है। इसौली से विधानसभा में तीन बार जीत दर्ज कर चुके पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह ‘सोनू’ गठबंधन के उम्मीदवार हैं। प्रसपा की कमला यादव सहित कुल 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
2014 की मोदी लहर में वरुण गांधी ने 1,78,902 के अंतर से इस सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्हें 4,10,348 और निकटतम प्रतिद्वंद्वी बसपा के पवन पांडे को 2,31,446 और सपा के शकील अहमद को 2,28,144 वोट मिले थे। कांग्रेस की अमिता सिंह को सिर्फ 41,983 वोट हासिल हुए थे। अब तक के दो उपचुनावों सहित कुल 18 चुनावों में कांग्रेस नौ, भाजपा चार, बसपा दो तथा जनता पार्टी, जनता दल और भारतीय क्रांति दल इस सीट पर एक-एक बार जीते हैं। सपा-बसपा के वोटों का जोड़ भाजपा को मिले वोटों से 49,242 अधिक था। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा की पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा को 3,68,691 वोट मिले थे। सपा-बसपा के वोटों का जोड़ 4,70,818 रहा।
मतदान की तारीख 12 मई नजदीक आने के साथ चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है। मेनका गांधी मुसलिमों के लिए दिए गए बयान पर चुनाव आयोग की पाबंदी झेल चुकी हैं। वोटरों को एबीसीडी खाने में बांटने और उसी हिसाब से काम की फिक्र को लेकर भी आयोग ने उन्हें कड़ी चेतावनी दी है। फिलहाल मेनका के भाषण और अंदाज संयमित हैं लेकिन वरुण के तेवर माहौल को गरमा रहे हैं। गठबंधन के प्रत्याशी की दबंग छवि को लेकर उनके भाषण, ‘संजय गांधी का लड़का हूं। ऐसे लोगों से जूते खुलवाता हूं।’ का वीडियो काफी वायरल हुआ है। अखिलेश यादव के परिवार को भी उन्होंने नहीं बख्शा। प्रचार सभाओं में कहा, ‘सैफई परिवार के लोग जो पन्द्रह-बीस साल पहले कंडे पाथते थे, अब पांच करोड़ की गाड़ियों में घूम रहे हैं।’ गठबंधन प्रत्याशी के लिए मायावती सभा कर चुकी हैं। उनके मुताबिक भाजपा गठबंधन से डरी हुई है। अखिलेश यादव भी रविवार को आए। मोदी और भाजपा उनके निशाने पर थी। वरुण-मेनका पर भी कटाक्ष किए। कहा कि वरुण सुल्तानपुर का मैदान पहले ही छोड़ चुके हैं। पीलीभीत से भी हारेंगे। मेनका की भी हार तय है। पहली बार हार ट्रांसफर होगी।
राहुल गांधी दो बार यहां आ चुके हैं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार अपनी चाची मेनका गांधी का नाम नहीं लिया। कहा कि संजय सिंह को जिताइए। उनकी सदन में जरूरत है। पूरे चुनाव अभियान में मोदी सबसे बड़ा मुद्दा बने हुए हैं। बाकी मुद्दे हवा हो चुके हैं।
उम्मीदवार और उनके समर्थक मोदी के नाम और उन्हें फिर प्रधानमंत्री बना कर मजबूत भारत के नाम पर वोट मांग रहे हैं। उधर विपक्षियों के हमले मोदी और उनकी सरकार पर केंद्रित हैं । मोदी के शोर में मेनका, चंद्र भद्र सिंह और संजय सिंह की त्रिकोणीय लड़ाई में अनेक जगहों पर जातीय गोलबंदी टूटती नजर आती है। हालांकि आखिरी वक्त तक इसे कायम रहने को लेकर जुदा राय सुनी जा रही हैं। तीनों दलों की ओर से जातीय वोटों की एकजुटता के लिए बाहरी और स्थानीय सजातीय चेहरे सक्रिय किए गए हैं।
क्षेत्र में कुल 18,11,770 मतदाता हैं। मुस्लिम मतदाताओं की अनुमानित संख्या लगभग तीन लाख मानी जाती है। भाजपा से उनकी दूरी जगजाहिर है। उनका किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में एकमुश्त झुकाव उस प्रत्याशी को भाजपा के मुकाबले में ला देगा। गठबंधन प्रत्याशी चंद्र भद्र सिंह बसपा के दलित वोट जिसकी अनुमानित संख्या ढाई लाख के इर्द-गिर्द मानी जाती है, के साथ सजातीय और सपा के यादवों और अन्य पिछड़ों की पूंजी की बदौलत मुस्लिम वोटों के तगड़े दावेदार हैं। पिछला इतिहास भी उनके हक में है। कोशिशें कांग्रेस के संजय सिंह की ओर से भी लगातार जारी हैं। उनका अभियान काफी व्यवस्थित है। हर सभा में दावा कर रहे हैं कि देश की तरह सुल्तानपुर में भी कांग्रेस ही भाजपा को हराएगी।

