लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की करारी हार के बाद शिवसेना ने सोमवार (27 मई) को अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने इसे कांग्रेस की सबसे अपमानजनक हार बताते हुए लिखा, ‘‘राहुल के व्यक्तित्व और भाषण में वह बात नहीं है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सके। कांग्रेस को इस बार 2014 के चुनावों की तुलना में ज्यादा अपमानजनक व एकतरफा हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल लायक 55 लोकसभा सीटें भी नहीं जीत सकी।’’

राहुल गांधी के बारे में कही यह बात:  संपादकीय में लिखा गया है, ‘राहुल गांधी का व्यक्तित्व लोगों को अपनी ओर आकर्षित नहीं करता। उनका भाषण और शैली भी अप्रभावी है। उन्होंने कड़ी मेहनत की, लेकिन बिना दिशा के। उनके पास कुछ ही नेताओं का ही समर्थन था। पार्टी के पास नेता तो हैं, लेकिन कार्यकर्ताओं का सूखा है।’’ सामना के संपादकीय में आगे लिखा है कि कांग्रेस को उसकी वंशवाद राजनीति के लिए निशाना बनाया जाता है। वही, वंशवाद ही पार्टी को बचाने में सक्षम नहीं हो सका।

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प्रियंका गांधी की भूमिका पर भी उठे सवालः संपादकीय में कांग्रेस पार्टी में प्रियंका गांधी वाड्रा की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। संपादकीय में लिखा है, ‘उत्तर प्रदेश में पार्टी 2 से एक सीट पर सिमट गई। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और गुजरात को मिलाकर 194 सीटें बनती हैं, लेकिन यहां कांग्रेस केवल तीन सीटें ही जीत सकी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों से ज्यादा वोट तो निर्दलीय उम्मीदवारों को मिल गए। प्रियंका गांधी वाड्रा भी कुछ अलग नहीं कर सकीं।’

मोदी के पास हैं अमित शाहः सामना में लिखा है कि मोदी के पास अच्छे संगठनात्मक कौशल वाले अमित शाह हैं। राहुल गांधी के पास बचकानी चीजें या पेंशनर्स क्लब हैं। कांग्रेस को मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं के साथ चलाने से बेहतर है कि पार्टी को खत्म कर दिया जाए।

इस वजह से नहीं स्वीकारा गया इस्तीफा: पार्टी अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश का जिक्र करते हुए संपादकीय में लिखा है, ‘उन्होंने इस्तीफा सिर्फ इसलिए स्वीकार नहीं किया, क्योंकि न तो उनके पास कोई चेहरा है और न ही मजबूत हाथ। कांग्रेस पार्टी का यह हाल हो चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह की पार्टी का क्या होगा?