कांग्रेस के एक बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि कांग्रेस पार्टी को फिर से जिंदा कर राहुल गांधी के वश की बात नहीं है। वरिष्ठ नेता ने नाम ना जाहिर करने पर इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि वो जमाना गया जब लोग गांधी परिवार के नाम पर नेता को स्वीकार कर लेते थे।

अब हकदारी या वंशवाद की राजनीति के प्रति बहुत नफरत का भाव विकसित हो गया है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘क्योंकि मैं एक परिवार का हूं, मैं नेता बन सकता हूं, मेरी बहन नेता बन सकती है… आप सबको यह स्वीकार करना होगा। ये लोग खासकर युवा वर्ग इस चीज को स्वीकार नहीं कर रहा है।’

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमारी रणनीति गलत थी। हमने मोदी के खिलाफ नकारात्मक रवैया अपनाया। ‘चौकीदार चोर है… का नेगेटिव प्रभाव पड़ा और लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। यहां तक की राहुल गांधी बहुत मेहनत की, वह नीरसता से इसे बार-बार दोहराते रहे जिसे लोगों ने पसंद नहीं किया।’

कांग्रेस के तीन अन्य वरिष्ठ नेता, जो सभी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कांग्रेस के नेगेटिव कैंपेन की आलोचना की। कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार ‘चौकीदार चोर है’ कैंपेन ‘नेगेटिव’ टोन में रहा।

पुलवामा हमले पर बेतुका रवैयाः लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं ने कहा कि पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक को लेकर पार्टी नेताओं की ‘बेतुकी’ सोच कांग्रेस के खिलाफ लोगों की राय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव मनिकम टैगोर ने कहा कि पार्टी की तरफ से राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए था।

उन्होंने कहा, क्या पार्टी ने राहुल को पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश किया था। जब हम नहीं जानते कि हमें किसे वोट करना है तो वोटर किसे चुनेगा… उम्मीद है कि कांग्रेस कार्य समिति भविष्य में राज्यों को लेकर अपनी गलती में सुधार करेगी।