छत्तीसगढ़ 2018 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और भूपेश बघेल राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। पार्टी को इस बार उम्मीद थी कि वो राज्य में एक बार फिर से सरकार बनाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कांग्रेस को 35 सीट और बीजेपी 54 सीट मिली है। छत्तीसगढ़ में कई वीआईपी सीटें रही हैं, जिस पर सबकी निगाहें थीं। इसी में से एक राजनांदगांव विधानसभा सीट भी रही। इस पर बीजेपी के रमन सिंह ने जीत दर्ज की। यहां उन्हें 102499 वोट मिले हैं। कांग्रेस के गिरीश देवांगन 45084 वोटों से हारे हैं। ये हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। हालांकि, इस सीट पर 2018 में भी बीजेपी का ही कब्जा रहा। माना जा रहा था कि गिरीश देवांगन इस बार रमन सिंह के गढ़ में उनके लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं लेकिन, इसमें वो असफल रहे। इस सीट पर 17 राउंड में वोटों की गिनती हुई।
इस क्षेत्र में कुल शहरी मतदाताओं की संख्या 1, 98,000 है। महिलाओं की संख्या यहां पुरुषों से अधिक है। यहां के मतदाता पार्टी और प्रत्याशी के नाम पर वोट देते हैं। यह क्षेत्र कृषि और व्यापार पर निर्भर है। यहां पहले एक बंगाल नागपुर कॉटन मिल्स था जो अब बंद हो चुका है। यहां जुलाई 2009 हुई एक नक्सली घटना में 29 जवान शहीद हो गए थे।
2018 में पूर्व सीएम रमन सिंह ने जीता था चुनाव
राजनांदगांव विधानसभा सीट पर 2018 में हुए चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने चुनाव जीता था। बीजेपी नेता रमन सिंह को उस समय कुल 80,589 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी छोड़ कांग्रेस ज्वाइन करने वाली विपक्षी नेता करुणा शुक्ला को 63,656 लोगों ने वोट दिया था। बता दें कि करुणा अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी हैं। 2018 में दोनों प्रत्याशियों के बीच महज 10.9% वोट प्रतिशत जीत का अंतर था। तीसरे नंबर पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रत्याशी दीपक यादव को 1858 मतों के साथ ही संतोष करना पड़ा था। यहां इस बार भी इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है।
क्या है राजनांदगांव का जातीय समीकरण?
राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है। जिसमें साहू, लोधी, यादव और अन्य शामिल हैं। इसके साथ ही सामान्य वर्ग की भी आबादी अच्छी खासी है। इस कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा ओबीसी फैक्टर को लेकर चुनाव लड़ा जाता है। इस विधानसभा सीट में एक बड़ी आबादी ओबीसी की है, इसलिए ओबीसी वोटर्स को साधने का काम राजनीतिक पार्टियों द्वारा किया जाता है। राजनांदगांव विधानसभा सीट में ओबीसी फैक्टर हावी है। ज्यादातर मतदाता सामान्य और ओबीसी कैटेगरी से आते हैं। यही यहां जीत का अंतर तय करते हैं।