BSP Lok Sabha Election Results 2019: लोकसभा चुनाव परिणाम के रुझानों में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी व रालोद का गठबंधन यूपी में सफलता हासिल नहीं कर पाया। महागठबंधन के बावजूद भाजपा 2014 के मुकाबले अधिक नुकसान नहीं हुआ। इससे पहले माना जा रहा था कि महागठबंधन भाजपा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। इस चुनाव में बसपा और सपा ने क्रमशः 38 और 37 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसके पक्ष में मजबूत जातिगत समीकरण का हवाला दिया जा रहा था। दोनों दलों को संयुक्त रूप से जाटव, यादव और मुस्लिमों परंपरागत वोटर थे। जहां तक बसपा और मायावती की बात है तो इस बार के चुनाव परिणाम भले ही महागठबंधन के उम्मीदों के अनुरूप ना रहे हों लेकिन बसपा के व्यक्तिगत रूप से फायदा हुआ है। पार्टी को इस बार 19.4 फीसदी मत मिले हैं। रुझानों के अनुसार बसपा के उम्मीदवार 11 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। साल 2014 में बसपा उत्तर प्रदेश में अपना खाता तक खोलने में असफल रही थी।

चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में लोगों को यह साफ तौर पर लगता था कि केंद्र में न तो मायावती कोई मजबूत दावेदारी पेश कर सकती हैं और ना ही अखिलेश यादव को बड़ा मौका मिल सकता है। वहीं, मायावती खुद भी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ रही थीं। ऐसे में लोगों को मोदी के सामने कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था। इसलिए जातिगत समीकरण के बावजूद बसपा और सपा का गठबंधन उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर सकी।

1993 में सफल रहा था प्रयोगः बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 1993 में समाजवादी पार्टी और बसपा का गठबंधन का पहली बार प्रयोग सफल रहा था। मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने यह गठबंधन किया था। यह गठबंधन भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए था। उस चुनाव में 425 सदस्यों वाली विधानसभा में 177 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इस चुनाव में सपा को 109 और बसपा को 67 वोट मिले थे। दोनों की कुल सीटें 176 थीं। दोनों दलों ने कांग्रेस, सीपीआई(एम) और सीपीआई के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।

हालांकि, यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। 1995 के गेस्टहाउस कांड के बाद यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद बसपा ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया और राज्य में सरकार बना ली। उस समय से सपा और बसपा में कटुता चली आ रही थी। 2018 उपचुनाव से जगी थी उम्मीदः 2018 में गोरखपुर और फूलपुर संसदीय क्षेत्र का उपचुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था। दोनों सीटों पर महागठबंधन ने भाजपा के उम्मीदवार को हरा दिया था। इसके बाद यह माना जा रहा था कि इस आम चुनाव में महागठबंधन ही भाजपा को बड़ी चोट पहुंचाएगा।