भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने यूपी चुनाव के बीच इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा है कि 50 हजार कमाने वाला भी एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में नाम लिखा लेता है। जिससे बेरोजगारों का आंकड़ा बढ़ जाता है।
दरअसल इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से सवाल पूछा गया कि पिछले पांच वर्षों में भाजपा के शासनकाल में विकास के बावजूद उत्तरप्रदेश में रोजगार दर राष्ट्रीय औसत से कम क्यों है? इसके जवाब में जे पी नड्डा ने कहा कि मैं इन आंकड़ो पर विश्वास नहीं करता हूं। युवाओं की अपनी आकांक्षाएं होती हैं और कई युवा दूसरे राज्यों में चले गए जहां उन्हें नौकरी मिली है।
आगे जे पी नड्डा ने कहा कि इसलिए जब आप यूपी के आंकड़े देखते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य में लोग बेरोजगार हैं। जब अर्थव्यवस्था बढ़ेगी तो नौकरियां पैदा होंगी। साथ ही अगर कोई 50,000 रुपये भी कमा रहा है तो वो खुद को बेरोजगार मानता है क्योंकि लोग सरकारी नौकरी चाहते हैं और वे एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज में नाम लिखवा लेते हैं। इसलिए यह संख्या बढ़ जाती है लेकिन व्यक्ति कमा रहा होता है। हम आंकड़ों के आधार पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते। आर्थिक दृष्टिकोण से युवाओं को भरपूर अवसर मिलते हैं।
इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि जमीनी स्तर पर नौकरियों की कमी की वजह से युवा गुस्से में हैं। आप कैसे इसका मुकाबला करेंगे। इसपर नड्डा ने कहा कि हमें इसका मुकाबला करने की जरूरत ही नहीं है। क्योंकि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और स्थिर करने को लेकर लोगों को केवल योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा है। यूपी सरकार ने पिछले पांच साल में 4.6 लाख नौकरियां दी है।
इसके अलावा जेपी नड्डा से जब यह पूछा गया कि अगर युवाओं के पास नौकरी और आय के स्त्रोत दोनों हैं तो उत्तरप्रदेश के 17-18 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज क्यों देना पड़ा? इसके जवाब में भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि लोग बेहतर जीवन यापन को लेकर केवल नौकरियों की बात कर रहे हैं और जिन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है, वे अशिक्षित हैं और नौकरी की तलाश नहीं कर रहे हैं। मुफ्त राशन की वजह से वे आत्मनिर्भर हुए हैं। ये दो अलग-अलग समूह हैं। जब हम युवाओं की बात करते हैं तो उन्हें सिर्फ रोटियों की जरूरत नहीं होती है। वे बेहतर जीवन जीने का लक्ष्य ध्यान में रखकर अगले पड़ाव की ओर देखते हैं। राशन गांवों के लोगों के लिए है जो समस्याओं का सामना कर रहे हैं।