उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से बीजेपी प्रत्याशी और वर्तमान सांसद कुंवर सर्वेश कुमार ने माना है कि उनके लोकसभा क्षेत्र में लड़ाई कांटे की है। लेकिन, साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि यहां से बीजेपी ठीक-ठाक मतों के अंतर से जीत हासिल करेगी। ठाकुर समाज से ताल्लुक रखने वाले सर्वेश कुमार मुरादाबाद से 5 बार विधायक रह चुके हैं। पीटीआई को टेलिफोन पर दिए इंटरव्यू में बीजेपी उम्मीदवार ने कहा, “यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। लेकिन, हम आश्वस्त हैं कि जीत हमें ही मिलेगी। लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्छे कामों को देख रहे हैं। हम सपा और बसपा के गठबंधन वाली रैलियों के मुकाबले अपनी रैली में काफी ज्यादा भीड़ देख रहे हैं।”
कुमार के खिलाफ इस बार कांग्रेस ने मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतारा है। जबकि, गठबंधन (सपा व बपसा) ने पेशे से डॉक्टर एसटी हसन को टिकट दिया है। एसटी हसन और इमरान प्रतापगढ़ी की नज़र 19.4 लाख मतदाताओं में शामिल 47 फीसदी मुस्लिम वोटरों पर है। सर्वेश कुमार कहते हैं, “मुस्लिम समुदाय का वोट नहीं बंट पाया है। चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है, लेकिन मुझे अपनी जीत के बारे में कोई संदेह नहीं है।” कुमार 2014 में सांसद बनने से पहले ठाकुरद्वारा से 5 बार विधायक रह चुके हैं। अब उनके बेटे बरहापुर से विधायक हैं। सर्वेश के अलावा क्षेत्र में बीएसपी का कैडर भी काफी सक्रिय दिखाई दे रहा है। पीटीआई से बातचीत में बीएसपी समर्थक रणविजय कहते हैं, ” हम बहन मायावती जी की इच्छाओं का अनुपालन कर रहे हैं। अब गठबंधन हो चुका है। जहां बहनजी की इच्छा होगी वहां बीएसपी वोटर (जाटव) वोट करेंगे।”
मुरादाबाद में बल्मीकि समाज का वोट हासल करने में बीजेपी को काफी मशक्कत झेलनी पड़ सकती है। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र का बाल्मीकि समुदाय वर्तमान बीजेपी सांसद सर्वेश कुमार से खुश नहीं है। दौलतबाग बाल्मीकि कॉलोनी के रहने वाले हरकेश कहते हैं, “पहले हम कांग्रेस को वोट दिया करते थे, लेकिन पिछली बार बीजेपी को किया। हमारे ही समर्थन से कुमार विजयी हुए। लेकिन पिछले पांच सालों में उन्होंने हमसे मुलाकात तक नहीं की। हरकेश का कहना है कि उनकी बिरादरी ने जब भी सांसद को याद किया, उन्होंने अपना प्रतिनिधि भेज दिया। हरकेश की तरह ही बाल्कमीकि समुदाय के अन्य लोग भी यही बात कह रहे हैं।
मुरादाबाद लोकसभा सीट पर 1952 से हुए चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवार 17 बार विजयी हुए हैं। ये उम्मीदवार बीजेपी को छोड़ लगभग सभी पार्टियों के टिकट से चुनाव जीत चुके हैं। पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2014 में इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। तब एसटी हसन और हाजी मोहम्मद याकूब की आपसी टकराव में मुस्लिम वोटर बंट गया था और परिणाम यह रहा कि सर्वेश कुमार की जीत आसान हो गई। 2014 में जब कुमार ने जीत हासिल की तब उन्हें 4.85 लाख वोट, जबकि हसन को 3.97 लाख और याकूब को 1.60 लाख वोट हासिल हुए। अगर 2014 में एसपी-बीएसपी साथ लड़े होते तो इन वोटों की संख्या बीजेपी उम्मीदवार को हराने के लिए काफी थी। गौरतलब है कि 2009 में क्रिकेटर मोहम्मद अजरुद्दीन ने भी यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और 25 साल बाद पार्टी के लिए यहां से जीत सुनिश्चित की थी।