Bihar Elections 2020 के पहले सियासत में मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री और LJP संरक्षक रामविलास पासवान का जाना चुनाव पर कितना असर डालेगा? फिलहाल इसका आकलन जल्दबाजी होगी। पर इतना तय है कि ऐसे समय में सहानुभूति बंटोरने में लोजपा कोई कोई कसर नहीं छोड़ेगी। यूं तो दलितों को लुभाने में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना दांव खेल रही हैं। मगर लोजपा के चिराग पासवान के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। पिता का साया उठ जाना और NDA से अलग होकर अपने बूते चुनाव लड़ना…एक साथ चिराग के कंधों पर आया बोझ निश्चित तौर पर परीक्षा की घड़ी है। साथ ही BJP से सामंजस्य बैठाकर अपने पिता की जगह मंत्रिमंडल में स्थान पाना भी उनके राजनीति कला के लिए इम्तेहान से कम न होगा।

रामविलास पासवान राजनीति के माहिर थे। मौसम वैज्ञानिक राजनैतिक पंडित ऐसे ही उन्हें नहीं कहते थे। अलग पार्टी बनाकर और सीमित संख्या में सांसदों को लेकर चलने वाले शख्स नहीं राजनीति की शख्सियत बन गए थे। खासकर बिहार राजनीति की उनके पास नब्ज थी। तभी छह प्रधानमंत्रियों के साथ मंत्री बनकर अपनी हैसियत का ठस्सा बरकरार रखा। केंद्र में सरकार चाहे यूपीए की रही या एनडीए की रामविलास उस मंत्रिमंडल का हिस्सा बनते रहे। 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह मंत्रिमंडल में पहली दफा शामिल किया गया। उन्हें श्रम मंत्रालय का मंत्री बनाया गया। एचडी देवगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल की सरकार में उनको रेलमंत्री बनाया गया, जबकि 1996 में उन्हें संचार मंत्री बनाया गया। अटल बिहारी वाजपेयी नेतृत्व वाली सरकार में उनको कोयला मंत्री बनाया गया।

साल 2000 में लोजपा की स्थापना की। 2002 में गुजरात दंगे के विरोध में उन्होंने राजग छोड़ दी। और कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए में शामिल हो गए। दो साल बाद यूपीए के केंद्र की सत्ता में आते ही वह मनमोहन सिंह की सरकार में रसायन व उर्वरक मंत्री बनाए गए। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार में खाद्य व जनवितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री बने। जाहिर है कि उनमें यूपीए और एनडीए के सभी घटक दलों को साधने की बेमिसाल क्षमता थी।

Ram Vilas Paswan RIP Latest Updates

वैसे ही उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों का दिल जीता। उनके तमाम राजनैतिक और पारिवारिक फैसलों में उनके भाइयों का साथ मिला। तभी लोजपा की कमान बेटे चिराग को सौंपने पर भी भाइयों में कोई मरमरी दिखाई नहीं दी। रामविलास की बीमारी के दरम्यान भी पूरा कुनबा चिराग के कंधे पर हाथ धरा खड़ा रहा।

इतना ही नहीं, चिराग ने बिहार में जिस तरह से नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला। इस फैसले में भी राम विलास पासवान की सहमति तय तौर पर रही होगी। यह सोची समझी राजनीति का हिस्सा है। तभी पार्टी ने राजस्थान की तर्ज पर नारा गढ़ा- ‘नीतीश तुम्हारी खैर नहीं, भाजपा से कोई बैर नहीं’।

याद रहे कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी ऐसे नारे लग चुके है- ‘नरेंद्र मोदी से बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं’। इसी रणनीति के तहत चिराग ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करेगी। उन्होंने कहा है कि पीएम सभी के हैं।

Bihar Elections 2020 LIVE Updates 

भागलपुर लोकसभा का चुनाव निर्दलीय तौर पर लड़ चुके सुशील दास ने बताया कि अब रामविलास पासवान के निधन से नए हालात पैदा हो चुके हैं। ऐसे में लोजपा को अपने चुनाव प्रचार के लिए किसी और चेहरे की जरूरत नहीं है। फिलहाल तो राम विलास का चेहरा ही लोजपा के लिए सबसे ताकतवर चेहरा है। इसकी वजह से पार्टी को जनता का सहानुभूति वोट मिलने के कयास है। दलितों के दूसरे नेताओं की वजह से मत विभाजन का खतरा महसूस करने वाले भी वोटों का ध्रुवीकरण लोजपा के पक्ष में होने की बात कहने लगे हैं।

हालांकि, यह 10 नवंबर को ईवीएम खुलने पर पता चलेगा। पर इतिहास साक्षी है कि जब भी चुनाव से पहले किसी कद्दावर नेता का निधन हुआ है तो उसका फायदा उसकी पार्टी को सहानुभूति के तौर पर मिला ही है। लोजपा के चिराग पासवान ने भी उनके निधन के बाद दिया गया भावनात्मक संदेश इसी ओर इशारा करता है।