इंडिया टुडे-एक्सिस के ओपिनियन पोल के मुताबिक बिहार में सीएम पद के लिए लोकप्रिय उम्मीदवार के तौर पर तेजस्वी यादव टॉप कर गए हैं। उन्हें 44 फीसदी लोगों ने पसंद किया है। नीतीश कुमार को केवल 35 फीसदी लोगों ने पसंद किया। मौजूदा उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील मोदी के लिए यह आंकड़ा केवल तीन प्रतिशत आया। चिराग पासवान को तो एक फीसदी से भी कम (0.7 प्रतिशत) लोगों ने बतौर सीएम उम्मीदवार पसंद किया।
बताया जाता है कि यह सर्वे 60 हजार से भी ज्यादा लोगों के बीच किया गया। यह भी बताया गया कि लोगों से सीधा सवाल किया जाता है कि आप सीएम के रूप मेें किसे पसंद करेंगे? उन्हें कोई विकल्प नहीं दिया जाता। वेे खुद नाम बताते हैं। अगर उन्हें नाम नहीं सूझता तब दो-चार विकल्प दिए जाते हैं।
तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल को कई एग्जिट पोल नतीजों में भी सबसे बड़ी पार्टी बताया गया है (यहां देखें Exit Poll Results)। इस चुनाव में तेजस्वी यादव की सभाओं में जुटने वाली भीड़ भी चर्चा का एक विषय था। उनकी सभाओं में अच्छी भीड़ जुटने की बात कही गई।
नीतीश कुमार ने इसका जवाब यह कह कर दिया कि भीड़ तो 2005, 2010 में जुटती थी, लेकिन नतीजा क्या रहा था? तेजस्वी ने इस चुनाव में खुद को पिता के साये से दूर रखा। पोस्टर पर भी लालू यादव की तस्वीर नहीं रखी। उन्होंने मुद्दे भी लालू से अलग उठाए। तेजस्वी ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। इस पर भाजपा को भी रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ा।
तेजस्वी ने वादा किया है कि अगर वह सीएम बने तो पहला दस्तखत दस लाख नौकरियां देने की फाइल पर करेंगे। उनके इस वादे पर भाजपा ने यह कह कर सवाल खड़ा किया कि लालू-राबड़ी के 15 साल के शासन में केवल 95 हजार लोगों को सरकारी नौकरी दी गई थी। साथ ही, नीतीश कुमार ने यह भी ताना मारा कि दस लाख नौकरियों के लिए पैसे कहां से आएंगे? क्या उन्हीं घोटालों से जिनकी वजह से लालू यादव आज जेल में हैं?