मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी जंग आखिरी दौर में पहुंच चुकी है। प्रदेश में भाजपा की पिछले 15 सालों से पूर्ण बहुमत की सरकार है लेकिन राजधानी भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट पर जीत सिर्फ एक सपना बन कर रह गयी है। यहां से कांग्रेस पार्टी के आरिफ अकील 1990 से अपनी धाक जमाये हुए है। इस बार बीजेपी ने यहां से फातिमा रसूल को अपना उम्मीदवार बनाया है। अकील ने कभी फातिमा के पिता को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था.
कांग्रेस के आरिफ अकील हैं 5 बार से विधायक
भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट पर वर्ष 1998 से कांग्रेस विधायक आरिफ अकील का कब्जा रहा है। बीते बीस सालों से अभेद किले के रूप में राजधानी की उत्तर विधानसभा कांग्रेस की मजबूत सीट मानी जाती है। भोपाल उत्तर सीट पर 1977 से अब तक 9 बार चुनाव हुआ है इसमें 6 बार कांग्रेस, एक बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी और एक बार भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार विजयी हुआ है। यह सीट 1977 में अस्तित्व में आई। तब पहली बार इस सीट से जनता पार्टी के हामिद कुर जीते। इसके बाद 1980 और 1985 में कांग्रेस के रसूल अहमद चुनाव जीते। 1990 में हुए चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार आरिफ अकील को जीत मिली।
इस सीट पर बीजेपी का खाता साल 1993 में खुला, जब रमेश शर्मा यहां से विजयी हुए। यहां 1998 से लेकर अब तक आरिफ अकील विधायक हैं।
भाजपा ने चला मुस्लिम बनाम मुस्लिम का दांव
बीजेपी ने यहां इस बार फातिमा रसूल को अपना उम्मीदवार बनाया है। फातिमा रसूल के पिता रसूल अहमद सिद्दीक़ी 90 के दशक में भोपाल उत्तर सीट से दो बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। बीजेपी प्रत्याशी फातिमा अपने पिता के नाम पर भोपाल उत्तर सीट से वोट मांग रही हैं और मुस्लिमों के साथ-साथ बीजेपी के परंपरागत वोट पाने की भी उम्मीद लगाए हैं।
यहां 2.95 लाख मतदाताओं में से 55 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, और फिर अधिकांश एससी-एसटी समाज के लोग है। यहां अधिकतर धर्म और जातिगत समीकरण ही नेतृत्व तय करता है। इसीलिए यहां राजनीतिक दल जातिगत और धार्मिक समीकरणों के हिसाब से ही अपना उम्मीदवार तय करते है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण भाजपा ने 2013 में आरिफ बेग को उम्मीदवार बनाया था। आम आदमी पार्टी ने भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारा है।
जीत हार में नहीं रहा है बड़ा अंतर
अब तक समीकरण आरिफ अकील के पक्ष में होने के बावजूद उन्होंने किसी भी चुनाव में बड़ी जीत दर्ज नहीं की है। 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर आरिफ अकील ने 16857 वोटो से जीत दर्ज की। वहीं 2003 के विधानसभा चुनाव में आरिफ अकील 7708 वोटों से जीते। 2008 में आरिफ अकील की जीत का फासला और कम हो गया और वे मात्र 4026 वोटों से जीत कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 2013 के चुनाव में आरिफ अकील की जीत का मामूली फासला बढ़ा और वे 6664 वोटों से विजयी रहे।
क्षेत्र में समस्याओं के बावजूद भी लगातार दर्ज की जीत
मुस्लिम बाहुल्य इस विधानसभा में पानी की किल्लत, ट्रैफिक,अव्यवस्थित बसाहट, अवैध कब्जे और गरीबी के साथ-साथ गैस पीड़ितों की भी समस्याएं हैं। हालांकि यहां मुद्दों से ज्यादा जातिगत और धार्मिक समीकरण ही जीत-हार तय करते हैं। अल्पसंख्यकों में विधायक आरिफ अकील की बेहद गहरी पकड़ मानी जाती है। 2013 के चुनावों में आरिफ अकील ने कुल 225605 वोटों में 73070 (50.70%) प्राप्त किये दूसरे नम्बर पर बीजेपी के आरिफ बेग रहे जिन्हें 66406 (46.08%) वोट मिले। 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के आरिफ अकील ने कुल 175454 वोटों में 58267 (50.8%) वोट प्राप्त किये तो दूसरे नम्बर पर बीजेपी के आलोक शर्मा रहे जिन्हे 54241 (46.62%) वोट मिले।
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बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल 231 विधानसभा सीटें हैं, 230 सीटों पर चुनाव होते हैं जबकि एक सदस्य को मनोनीत किया जाता है। 2013 के चुनाव में बीजेपी को 165, कांग्रेस को 58, बसपा को 4 और अन्य को तीन सीटें मिली थीं। 2018 के विधानसभा चुनाव के लिए मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को वोट डाले जायेंगे और 11 दिसंबर को मतगणना होगी।