बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। दिलचस्प बात यह है बैरकपुर लोकसभा सीट से टीएमसी ने वर्तमान सांसद अर्जुन सिंह का टिकट काट दिया है। अर्जुन सिंह 2019 में बैरकपुर से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। लेकिन 2021 विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने टीएमसी में ‘घरवापसी’ की थी।

अर्जुन सिंह ने कांग्रेस की थी राजनीति की शुरुआत

अर्जुन सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की लेकिन विधानसभा वह टीएमसी की मदद से पहुंचे। अर्जुन सिंह एक समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीबी माने जाते थे, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया। टिकट कटने के बाद अर्जुन सिंह नाराज हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने उनके साथ वादाखिलाफी की है।

TMC ने धोखा दिया- अर्जुन सिंह

अर्जुन सिंह ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए यह भी कह दिया कि अगर उन्हें पता होता टीएमसी से टिकट नहीं मिलेगा तो वह बीजेपी में ही रहते, वापस नहीं आते। अर्जुन सिंह के समर्थकों ने भी खूब बवाल काटा और नाराजगी जाहिर की। अर्जुन सिंह ने यहां तक कह दिया कि वह बैरकपुर से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और कहीं नहीं जाने वाले हैं। लेकिन अब बड़ी बात यह है कि क्या अर्जुन सिंह बागी होंगे या फिर से बीजेपी में शामिल होंगे। हालांकि टीएमसी उनको मनाने की कोशिश कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अर्जुन सिंह को विधायकी और ममता सरकार में मंत्री पद का ऑफर दिया गया है। अर्जुन सिंह ने कहा कि उन्हें टिकट का भरोसा दिया गया था।

अर्जुन सिंह का बेटा बीजेपी विधायक

अर्जुन सिंह ने साल 2001 में टीएमसी ज्वाइन की थी और उसके बाद उन्होंने भाटपारा विधानसभा से चुनाव लड़कर जीता था। इसके बाद भी वह लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीते। 2019 तक अर्जुन सिंह भाटपारा विधानसभा सीट से विधायक थे लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। इसके बाद बीजेपी ने बैरकपुर लोकसभा सीट से अर्जुन सिंह को उम्मीदवार बना दिया। बीजेपी ने उन्हें उनके ही गुरु दिनेश त्रिवेदी के खिलाफ उम्मीदवार बनाया था। दिनेश त्रिवेदी टीएमसी के काफी दिग्गज नेता थे। हालांकि दिनेश त्रिवेदी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। अर्जुन सिंह ने दिनेश त्रिवेदी को हरा दिया।

हालांकि सांसद चुने जाने के बाद अर्जुन सिंह लगातार टीएमसी सरकार के निशाने पर रहे। उनके ऊपर कई मुकदमे हुए और उनके घर पर भी हमला हुआ। 2019 में बीजेपी ज्वाइन करने के 2 महीने के अंदर ही उनके खिलाफ दर्जनों मुकदमे लाद दिए गए और उन्होंने आरोप लगाया की ममता सरकार उन्हें परेशान कर रही है। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती होने वाली थी, उससे ठीक 1 दिन पहले उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार करने की भी कोशिश की थी। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां से राहत मिली थी। उनके घर पर भी बम से अटैक किया गया था और उनकी गाड़ी को भी टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने तोड़ दिया था।

अर्जुन सिंह के बेटे पवन सिंह अभी बीजेपी से विधायक हैं। पवन सिंह भाटपारा विधानसभा से भाजपा विधायक चुने गए हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी की हार हुई, उसके बाद अर्जुन सिंह ने टीएमसी का दामन थाम लिया। यह भी कहा जाता है कि अर्जुन सिंह को लगातार पुलिस परेशान कर रही थी और इसके कारण उन्होंने टीएमसी का दामन थामा। हालांकि दोबारा टीएमसी में घरवापसी करते हुए अर्जुन सिंह ने कहा था कि उनके क्षेत्र में जूट मिलों के संचालन में काफी दिक्कतें आ रही थीं और इससे मजदूरों को भी काफी नुकसान हो रहा है। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात की थी। अर्जुन सिंह के अनुसार उनकी बैठक अच्छी नहीं रही और इसी मुद्दे पर उन्होंने बीजेपी छोड़ी थी।

कभी बैरकपुर लोकसभा सीट कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ था

बैरकपुर लोकसभा सीट कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ रही थी। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने कम्युनिस्ट के उम्मीदवार को हराकर यहां पर जीत दर्ज की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने दिनेश त्रिवेदी को प्रत्याशी बनाया था और उस दौरान उनके प्रचार का जिम्मा उनके शिष्य अर्जुन सिंह ने संभाला था। बैरकपुर से 2004 में अर्जुन सिंह को टीएमसी सांसदी भी लड़ा चुकी है, हालांकि वह हार गए थे।

आजादी के बाद अब तक बैरकपुर सीट पर कुल 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। इसमें नौ बार सीपीआई, कांग्रेस चार बार, टीएमसी दो बार, बीजेपी एक और एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की है।