शक्ति उपाध्याय
केंद्र सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता जेपी नड्डा का हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में उनकी सेवाओं से वंचित रहना उनके हजारों समर्थकों को तो अखर ही रहा है, इसके साथ ही इसे भाजपा के लिए शुभ संकेत भी नहीं माना जा रहा। कुछ लोग इसे प्रदेश में चल रही भाजपा की अंदरूनी कलह से भी जोड़कर देख रहे हैं। वहीं नड्डा समर्थक चुनाव में अपनी उपेक्षा से निराश और हताश हैं। इन लोगों का मानना है कि यह बिलासपुर जिले को राजनैतिक तौर पर नीचा दिखाने की कोशिश भी है। लोगों का कहना है कि यदि भाजपा हमीरपुर सीट हारती है तो इसके पीछे कलह ही होगी। दरअसल, धूमल परिवार से नड्डा का छत्तीस का आंकड़ा जग जाहिर है।
भाजपा के ही नजदीकी सूत्रों का कहना है कि एक समय था जब धूमल ने नड्डा को कहीं का नहीं रहने दिया था। प्रदेश में धूमल सरकार के दौरान नड्डा को हाशिए पर डालने के लिए केंद्र में भेजा गया था। लेकिन नड्डा ने वहां अपने संबंधों का बखूबी फायदा उठाकर दिल्ली में अपनी ऐसी राजनीति चमकाई कि वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बन गए। फिर धूमल से मिले प्रदेश से वनवास का बदला नड्डा ने विधानसभा चुनाव में लिया।
कहा तो यह भी जाता है कि पूरे का पूरा धूमल खेमा और इसके नामचीन नेता चुनाव हार गए। खेमे से सिर्फ दो विधायक सफल रहे। वे थे विक्रमजीत और वीरेंद्र कंवर। इस तरह नड्डा ने धूमल से हिसाब साफ किया। दरअसल केंद्र की राजनीति में नड्डा के कद का अंदाजा इस बात से हो जाता है कि पिछले विधानसभा चुनावों में नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिलासपुर में 1351 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान ‘एम्स’ का शिलान्यास करवाकर जिले की तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा करवाकर अपनी कुशल रणनीति का अहसास करवाया था। लेकिन इसके बावजूद बिलासपुर से किसी विधायक को प्रदेश मंत्रिमंडल में कोई स्थान नहीं मिला।
उपेक्षा से आहत बिलासपुर की जनता
बिलासपुर से किसी को भी तरजीह न दिए जाने से लोगों में भाजपा सरकार से नाराजगी है। हालांकि ऐसा माना जा रहा था कि बिलासपुर सदर से विधायक सुभाष ठाकुर को नड्डा का ‘आशीर्वाद’ प्राप्त था तो घुमारवीं के विधायक राजेंद्र गर्ग को आरएसएस का समर्थन हासिल था। जबकि तीसरे विधायक जीतराम कटवाल झंडूता से हैं और वह पूर्व प्रशासनिक अधिकारी (आइएएस) हैं इसलिए उनका भी हक जायज था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ऐसे में बिलासपुर के लोगों को सरकार से मायूसी स्वाभाविक है।
नड्डा की बिलासपुर अनदेखी पड़ेगी भाजपा के लिए भारी
प्रदेश में नड्डा की ओर से मंजूर किए गए बिलासपुर के लिए एम्स और ऊना के लिए पीजीआइ का सेटेलाइट सेंटर एवं हमीरपुर के लिए स्वीकृत मेडिकल कॉलेज का श्रेय लेने में भाजपा उम्मीदवार अनुराग ठाकुर लगे हैं और इसे अपनी ही उपलब्धि बता रहे हैं। इससे नड्डा समर्थकों को आक्रोशित होना स्वाभाविक है। नड्डा इन दिनों अपने गृह जिले उत्तरप्रदेश के चुनावों में व्यस्त हैं लेकिन उन्हें कुछ समय निकालकर हिमाचल का दौर करना चाहिए क्योंकि यदि देर हो गई तो बिलासपुर में होने वाले नुकसान की भरपाई करना भाजपा के लिए आसान नहीं है।

