उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में राज्य सरकार से सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों के लिए तबादले की नई नियमावली के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि अब यूपी में इन शिक्षकों के तबादले के लिए नया सिस्टम लागू होगा। इस प्रस्ताव में प्रावधान है कि इन शिक्षकों को उनके कार्यकाल में पांच साल की न्यूनतम सेवा के बजाए सिर्फ 3 साल की सर्विस के बाद ही ट्रांसफर दे दिया जाएगा। इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद महिला शिक्षकों को इसका विशेष लाभ होगा।

कैबिनेट मीटिंग में मिली प्रस्ताव को मंजूरी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, योगी सरकार ने प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया, जिसके तहत अब शिक्षकों को पांच वर्षों की न्यूनतम सेवा के बजाय केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद स्थानांतरण का अधिकार मिल सकेगा।

महिला शिक्षकों को कैसे मिलेगा लाभ?

‘नई उच्चतर सेवा नियमावली-2024’ के अनुसार, प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में नियमित आधार पर नियुक्त और स्थायी रूप से पदस्थापित कार्यरत शिक्षक अब केवल तीन वर्षों की सेवा के बाद अपने स्थानांतरण का अनुरोध कर सकेंगे। इससे पहले यह सीमा पांच साल थी। इस फैसले से घर से दूर प्रदेश के विभिन्न जिलों में सेवाएं दे रही महिला शिक्षकों को विशेष लाभ होगा क्योंकि उन्हें अपने परिवार के पास वापस आने का अवसर पहले से कम समय में मिल सकेगा।

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने संवाददाताओं को बताया कि इस नियमावली के लागू होने के बाद से शिक्षकों को अपने गृह जनपद में लौटने का अवसर मिलेगा, जिससे शिक्षण कार्य में अधिक समर्पण और प्रतिबद्धता आएगी। उन्होंने बताया कि इससे ना केवल शिक्षकों के कार्यस्थल पर संतोष का स्तर बढ़ेगा बल्कि छात्रों को भी लाभ होगा क्योंकि शिक्षक अधिक सहज और संतुष्ट होकर अपने कर्तव्यों का पालन कर सकेंगे।

नई नियमावली के अंतर्गत यह प्रावधान भी है कि शिक्षक अपने संपूर्ण सेवा काल में केवल एक बार स्थानांतरण के हकदार होंगे।