हाल ही में NEET PG 2024 क्वालीफाइंग पर्सेंटाइल को कम करने का जो निर्णय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देश पर मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी (MCC) की ओर से लिया गया वह मेडिकल कम्युनिटी को पसंद नहीं आ रहा। MCC की ओर से किए गए संशोधित मानदंडों के अनुसार, जनरल और EWS श्रेणी के उम्मीदवारों को अब काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए 15 पर्सेंटाइल और उससे अधिक अंक प्राप्त करने होंगे। वहीं SC, ST, OBC और PwD श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए 10 पर्सेंटाइल होना आवश्यक है।
क्या है एक्सपर्ट की राय?
नेशनल मेडिकल कमीशन के अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले का उद्देश्य देश भर में खाली पड़ी पीजी स्तर की मेडिकल सीटों को भरना है, लेकिन एक्सपर्ट की राय इससे अलग है। विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह फैसला खाली सीटों को भरने के लिए एक जरूरी प्रयास के रूप में लिया गया हो, लेकिन इस फैसले से मेडिकल एजुकेशन और ट्रेनिंग की क्वालिटी से समझौता होगा।
दिल्ली के VMMC और सफदरजंग अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट और ग्लोबल एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल स्टूडेंट्स (GAIMS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शुभम आनंद ने इस फैसले की आलोचना की है। उन्होंने बताया है कि कैसे मेडिकल कॉलेजों और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों में हुई अनियोजित बढ़ोतरी की वजह से ही अपर्याप्त रूप से प्रशिक्षित मेडिकल ग्रेजुएट स्टूडेंट्स की बढ़ोतरी हो रही है।
डॉ. आनंद ने कहा है, “नीट पीजी पर्सेंटाइल कट-ऑफ में कमी का जो फैसला लिया गया है उस पर बहस होनी चाहिए। कुछ लोग इसे सीट खाली होने से बचाने का तरीका मान रहे हैं, लेकिन इस फैसले से कई कॉलेजों में बुनियादी ढांचे और योग्य शिक्षकों की कमी से मेडिकल प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित होगी।” उन्होंने यह मांग की है कि NMC के द्वारा इस फैसले का फिर से रिव्यू किया जाए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के राष्ट्रीय परिषद सदस्य डॉ. ध्रुव चौहान की राय शुभम आनंद से थोड़ी अलग है। उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया है। साथ ही उन्होंने ये चेतावनी दी है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के द्वारा दुरुपयोग की भी संभावना है। उन्होंने कहा है, “कट-ऑफ को 10 पर्सेंटाइल तक कम करने से मेडिकल शिक्षा का व्यापारीकरण होने की संभावना बढ़ गई है। इस फैसले के बाद मेडिकल सीटों को ऊंचे दाम में बेचा जाना शुरू हो सकता है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह जांच करे कि सीटें खाली क्यों रहती हैं और डॉक्टरों के लिए अधिक रोजगार के अवसर पैदा करे।
छात्रों के मन के सवाल
इस फैसले को लेकर छात्रों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। हरियाणा की एक छात्रा जिसने 2024 में NEET PG पास किया था, उसने काउंसलिंग के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया क्योंकि सीमित संसाधनों के साथ घर से दूर एक दूरदराज के कॉलेज में सीट आवंटन उसके लिए समझ में नहीं आया। उसने कहा, “मैं अपने करियर के तीन साल के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण की गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहती थी।” वह दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में विजिटिंग डॉक्टर के रूप में काम कर रही है।
एक अन्य महिला डॉक्टर जिसने नीट पीजी पास किया है और असम में अपने गृहनगर में प्रैक्टिस कर रही है। उसने कहा है, “भाषा की बाधा और विशेषज्ञता के विकल्पों की कमी के साथ एक दूर के राज्य में सीट की पेशकश करना एक कठिन निर्णय था। मैंने शामिल नहीं होने का फैसला किया, क्योंकि यह मेरे क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने और प्रभावी रोगी देखभाल प्रदान करने की मेरी क्षमता को प्रभावित करेगा।”