वर्ल्ड टी20 में मेजबान भारत इस साल टूर्नामेंट का विजेता बनने का प्रबल दावेदार है। उसके पास घरेलू कंडीशन का भी फायदा होगा। साथ ही पूरी टीम इस समय जबरदस्त फॉर्म में हैं। इस लिहाज से बाकी सभी टीमों पर भारत का पलड़ा भारी है। लेकिन क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में खेल केवल दो ओवर में बदल सकता है। इसी बीच भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा फेवरिट टीम होने का ही है। वर्ल्ड टी20 का अभी तक का इतिहास रहा है कि जो टीम फेवरिट रही है वह विजेता नहीं बनी है। आगे पढि़ए फेवरिट्स के लिए किस तरह निराशाजनक रहा है वर्ल्ड टी20-
2007 पहला टी20 वर्ल्ड कप: 20 ओवर के खेल का पहला बड़ा टूर्नामेंट दक्षिण अफ्रीका में खेला गया था। भारत ने सबको चौंकाते हुए इस पर कब्जा किया था। टूर्नामेंट के शुरू होने से लेकर नॉकआउट दौर तक किसी ने भारत को विजेता बनने का दावेदार नहीं माना था। भारत उसी साल वर्ल्ड कप के पहले ही दौर से बाहर हो चुका था। साथ सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, जहीर खान और राहुल द्रविड़ जैसे सीनियर्स ने इसमें खेलने से इनकार कर दिया था। ऐसे में टीम इंडिया की कप्तानी एमएस धोनी को दी गई। न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों को तगड़ा दावेदार माना जा रहा था। इन देशों के पास टी20 का अच्छा खासा अनुभव भी था। लेकिन बाजी भारत ने मारी।
2009 दूसरा टी20 वर्ल्ड कप: टी20 वर्ल्ड कप के दूसरे संस्करण का आयोजन इंग्लैंड में किया गया। भारत को डिफेंडिंग चैंपियन होने के साथ ही आईपीएल के चलते सबसे बड़ा दावेदार माना गया। भारतीय टीम में आईपीएल में चमकने वाले खिलाडि़यों को ही प्राथमिकता दी गई। लेकिन हुआ इसके उलट। भारत नॉकआउट के लिए भी क्वालिफाई नहीं कर पाया। सुपर सिक्स में उसे तीनों मैच में हार झेलनी पड़ी। वहीं 2007 का उपविजेता पाकिस्तान विजेता बना। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और मेजबान इंग्लैंड जैसे अन्य दावेदारों को भी निराशा ही हाथ लगी।
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2010 तीसरा टी20 वर्ल्ड कप: 2011 में 50 ओवर के वर्ल्ड कप के चलते टी20 वर्ल्ड कप आयोजन 2010 में ही कर दिया गया। तीसरा संस्करण वेस्ट इंडीज में खेला गया। लगातार दो वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने और डिफेंडिंग चैंपियन के नाते पाकिस्तान प्रबल दावेदार था। साथ ही आईपीएल अनुभव के नाते भारत, ऑस्ट्रेलिया और मेजबान वेस्ट इंडीज टूर्नामेंट जीतने के अन्य फेवरिट थे। इस बार भी चौंकाने वाला नतीजा रहा और इंग्लैंड ने पहली बार कोई आईसीसी ट्रॉफी जीती। उसने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को मात दी। भारत एक बार फिर से सुपर सिक्स में एक भी मैच नहीं जीत पाया।
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2012 चौथा टी20 वर्ल्ड कप : पहली बार टी20 वर्ल्ड कप का आयोजन एशिया महाद्वीप में किया गया। श्रीलंका को इसकी मेजबानी मिली। मेजबान होने के नाते वह जीत का प्रबल दावेदार था। साथ ही स्पिन फ्रेंडली पिचों के चलते भारत और पाकिस्तान अन्य बड़े दावेदार थे। सबको हैरान करते हुए फाइनल में वेस्ट इंडीज ने श्रीलंका को मात दे दी। भारत और पाकिस्तान जैसे अन्य दावेदार सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुंच पाए।
2014 पांचवां टी20 वर्ल्ड कप: टी20 वर्ल्ड कप का कारवां इस बार पहुंचा बांग्लादेश। भारत के लिए एक बार फिर घर जैसी ही परिस्थितियां थी। यहीं एडवांटेज श्रीलंका और पाकिस्तान को भी था। भारत और श्रीलंका ने उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन किया। दोनों टीमें फाइनल तक पहुंची। फाइनल तक टीम इंडिया अजेय रही इस वजह से उसे ही जीत का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था। लेकिन श्रीलंका ने बाजी पलट दी।