सरकार ने मंगलवार को बताया कि स्विट्जरलैंड कानूनों को संशोधन करने की प्रक्रिया में है। इससे भारत जैसे देशों के लिए चुराए गए आंकड़ों से मिली जानकारी के आधार पर कालाधन का ब्योरा हासिल करना आसान हो जाएगा। कारपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि स्विस संघीय परिषद की दो सितंबर 2015 की एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है, ‘स्विस संघीय परिषद ने कर प्रशासन सहायता अधिनियम के संशोधन पर परामर्श शुरू किया है, जो चुराए हुए आंकड़े के संबंध में स्विस प्रक्रियाओं को सरल करने की व्यवस्था करता है। अब अगर किसी दूसरे देश ने चुराया हुआ आंकड़ा सामान्य प्रशासनिक सहायता के माध्यम से या सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त किया है तो अनुरोधों का उत्तर देना संभव होना चाहिए।’ वित्त मंत्री ने बताया कि ऐसे संशोधन के कानून का रूप देने के लिए एक विधेयक पर समुचित समय पर स्विस संसद में चर्चा की जानी है।
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि अक्तूबर 2014 तक स्विट्जरलैंड ने जिनीवा के एचएसबीसी बैंक में खाता धारकों की सूची के संबंध में भारत द्वारा अनुरोध की गई सूचना यह कहते हुए नहीं दी थी कि इसमें चुराया हुआ आंकड़ा प्रस्तुत किया गया था। इसके घरेलू कानून के मुताबिक अगर कोई सूचना स्विस कानून के तहत आपराधिक जुर्म के माध्यम से प्राप्त आंकड़े से संबंधित है तो वह सूचना प्रदान नहीं की जा सकती।
जेटली ने यह भी बताया कि खाता धारकों की ओर से जारी सहमति पत्र के आधार पर सीधे करदाता और एचएसबीसी बैंक के माध्यम से सूचना और दस्तावेज प्राप्त करने का एक वैकल्पिक तरीका भी अपनाया गया। इसके फलस्वरूप कई मामलों में अपेक्षित सूचना या दस्तावेज प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि स्विट्जरलैंड में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे और 14 अक्तूबर 2014 को बर्न में बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के फलस्वरूप स्विट्जरलैंड उन मामलों के संबंध में सूचना प्रदान करने के लिए सहमत हो गया, जिनमें स्विस सरकार द्वारा चुराए हुए आंकड़े के रूप में माने जाने वाले आंकड़े से अलग आयकर विभाग द्वारा स्वतंत्र रूप से जांच की गई हो। इस प्रकार, चुराए गए आंकड़े से अलग, आयकर विभाग द्वारा एकत्र साक्ष्य के आधार पर अनुरोध भेजे गए और स्विट्जरलैंड के साथ इनका आगे अनुसरण किया जा रहा है।
विदेश में गुप्त रूप से रखे गए कालाधन को प्रकट करने के लिए कर वंचकों को दी गई तीन माह की अवधि के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने बताया कि नए बनाए गए काला धन (अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्ति) और कर अधिरोपण कानून 2015 के अध्याय छह के तहत दी गई तीन माह वाली एक बारगी अनुपालन सुविधा (वन टाइम कंप्लायंस विंडो) के तहत कुल 635 घोषणाकर्ताओंने कुल 4160 करोड़ रुपए मूल्य की अघोषित परिसंपत्ति की घोषणा की है।