जैसे ही भारतीय जनता पार्टी के नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा में उम्मीदवारी की संभावनाओं पर बधाइयों के फोन शुरू हुए। तभी जेपी नड्डा ने पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सुशील मोदी के समर्थकों को झटका दे दिया। पूर्व प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष गोपाल नारायण का नाम बहुतों को चौंका गया क्योंकि वह कुछ समय से पार्टी में दरकिनार चल रहे थे। सिंह अपना पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे। पिछले 20 सालों में वह एक के बाद एक चुनाव हारते आए हैं। 10 साल पहले पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद का कार्यकाल खत्म होने के बाद से वह बीजेपी की कोर टीम का भी हिस्सा नहीं थे।
सुशील मोदी ने उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद मीडिया के फोन नहीं उठाए, लेकिन उन्होंने सिंह को बधाई संदेश भेजा है। अपने कद के हिसाब से मोदी की उम्मीदवारी बिलकुल तय थी। उनके केन्द्रीय कैबिनेट में भी शामिल होने की चर्चा थी। बिहार के वित्तमंत्री और राज्य वित्तमंत्रियों की GST अधिकार प्राप्त कमेटीके चेयरमैन के तौर पर उनका अनुभव काम आता। बिहार बीजेपी के सबसे बड़े नेता के लिए लम्बे राजनैतिक कार्यकाल और नीतीश कुमार के बराबर व्यक्तित्व बनाने का इनाम पाने का यह शायद आखिरी मौका था। उनके भरोसेमंद लोग भी राज्यसभा में मोदी की एंट्री को लेकर आश्वस्त थे।
Read more: राज्यसभा चुनाव: सुशील मोदी पर RSS को नहीं था भरोसा? BJP ने 8 चुनाव हारे नेता को बनाया उम्मीदवार
सूत्रों का कहना है कि बिहार से केन्द्र में बैठे मोदी के कुछ विरोधियों ने उनकी राज्यसभा उम्मीदवारी में अड़गा लगाया। भाजपा का खेमा निश्चित तौर पर बंटा हुआ नजर आता है क्योंकि बिहार से कुछ केन्द्रीय मंत्रियों को सुशील मोदी से एलर्जी है। बीजेपी का एक धड़ा मोदी का नाम उम्मीदवारों की सूची से गायब रहने के पीछे तर्क दे रहा है कि बिहार राजनीति में उनकी ज्यादा जरूरत है। विपक्ष के मजबूत नेता के तौर पर लालू और नीतीश से तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर भिड़ने का माद्दा मोदी ही दिखा सकते हैं। बीजेपी के एक नेता का कहना है कि विपक्ष के नेता के तौर पर प्रेम कुमार ठीक काम नहीं कर पा रहे।
लेकिन अंदरखाने सुुशील मोदी को एक तरह से फिर मात मिली है, उन्हें अपनी राजनीति को बदलने की जरूरत है। बीजेपी काडर में मोदी के घटते कद को देखते हुए कोई भी बोल सकता है कि अगर मोदी खुद को राज्यसभा सांसद नहीं बनवा सकते, तो अपने समर्थकों को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारियां कैसे दिला पाएंगे। एक नेता ने कहा, “केन्द्रीय बीजेपी ने खुद इस बात का फैसला किया। हमसे पूछना शर्मिंदगी की बात होती।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि कैसे सुशील मोदी का नाम तय हो चुका था और सिर्फ निर्मला सीतारमण और सैयद शाहनवाज हुसैन ही उनकी उम्मीदवारी को चुनौती देने की स्थिति में थे।
Read more: मोदी सरकार को घेरने के लिए इन नेताओं को राज्यसभा भेजेगी कांग्रेस, यह है प्लान
2012 में, जब तत्कालीन गुजरात सीएम और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई बार सुशील मोदी का नाम हटाया था, तब सुशील मोदी ने नीतीश कुमार को ‘पीएम मैटेरियल’ बताया था। नीतीश कुमार ने एक बार कहा था कि नरेन्द्र मोदी कुछ भी आसानी से नहीं भूलते। अब कोई चाहे तो दोनों बातों को जोड़कर यह अंदाजा लगा सकता है बिहार के मोदी इसलिए चूक गए क्योंकि वह गिरिराज सिंह के बाद मोदी समर्थक बने, गिेरिराज सिंह को उनकी योग्यताओं से नरेन्द्र मोदी के प्रति वफादारी ने मंत्री पद दिलवाया।