उच्च गुणवत्ता के कैमरे से लैस मोबाइल फोन अब मौत का सबब बन रहे हैं। बार-बार स्वयं की अच्छी तस्वीर लेने की लत कब बेलगाम भूख में तब्दील होती गई, इसका अहसास तब हो रहा है, जब सेल्फी लेते लोगों, खासकर युवाओं की जिंदगी दांव पर लग गई दिखती है। पिछले कुछ समय से युवा पीढ़ी में इसका नशा इस कदर हावी होता जा रहा है कि वे अपनी फिक्र करना भी जरूरी नहीं समझ रहे। नतीजतन,ऐसा करते हुए कोई झील में डूब जाता है, तो कोई पहाड़ से गिर जाता है या फिर रेलगाड़ी की चपेट में आ जाता है।
सेल्फी के प्रति इतनी दीवानगी की वजह समझने की आवश्यकता है। खुद की खास तस्वीर लेने के फेर में लोग अपनी जिंदगी को खतरे में डालने से नहीं हिचकिचा रहे, तो इसका अर्थ है कि वे ऐसी मानसिक अवस्था में हैं, जो यथार्थ से दूर है। गौरतलब है कि मंगलवार को महाराष्ट्र के ठाणे में दोस्तों के साथ सेल्फी ले रहा एक युवक यह देख नहीं सका कि कोयना एक्सप्रेस तेज रफ्तार से आ रही है। रेलगाड़ी की चपेट में आकर हुई इस युवक की मौत इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है।
सेल्फी लेते हुए सबसे ज्यादा मौत इस समय भारत में
सोशल मीडिया के इस दौर में सेल्फी लेने का चलन बेतहाशा बढ़ा है। खासकर युवा एक दिन में कई-कई बार सेल्फी लेते हैं और उसे सोशल मीडिया के अलग-अलग मंचों पर साझा करते हैं। यह प्रवृत्ति उनकी मन:स्थिति को दर्शाती है। लंदन की नाटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी और तमिलनाडु के त्यागराज स्कूल आफ मैनेजमेंट के साझा अनुसंधान का निष्कर्ष है कि अगर किसी का दिन भर में तीन से ज्यादा सेल्फी लेने से मन नहीं भरता, तो उसे कोई विकार है।
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यह लत अब घातक होती जा रही है, क्योंकि एक आकलन के मुताबिक सेल्फी लेते हुए सबसे ज्यादा मौत इस समय भारत में हो रही है। इसकी वजह सिर्फ स्मृतियों को संजोने तक सीमित नहीं हो सकती। दरअसल, लोग दूसरों से अलग दिखना चाहते हैं। मगर इस क्रम में अपनी जान गंवा देने तक की लापरवाही बरतने को कैसे उचित माना जा सकता है?