जब से अमेरिका ने पारस्परिक शुल्क लगाने की घोषणा की है, तबसे दुनिया भर में आशंकाओं के बादल गहराने लगे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि जो देश जितना शुल्क हमसे वसूलता है, उतना ही शुल्क हम भी उससे वसूल करेंगे। माना जा रहा है कि इससे व्यापार युद्ध शुरू हो जाएगा। चीन ने तो इसे विश्व व्यापार संगठन की नीतियों के खिलाफ बताया। फिर उसने यहां तक कह दिया कि अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, तो वह इसके लिए तैयार है। अमेरिकी संसद में बोलते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने जिन देशों का नाम लिया, उनमें भारत का भी विशेष रूप से उल्लेख किया कि वह कुछ मामलों में सौ फीसद से भी अधिक शुल्क वसूलता है।
मगर भारत की तरफ से तुरंत इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई। स्वाभाविक ही सबकी नजरें भारत की तरफ लगी हुई थीं। अब विदेशमंत्री ने साफ कर दिया है कि अमेरिका की शुल्क संबंधी नीतियों का भारत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और न दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियों में कोई बाधा आएगी। विदेशमंत्री ने ट्रंप के कदम को बहुध्रुवीय व्यवस्था की तरफ बढ़ने वाला बताया।
अभी केंद्रीय वाणिज्य मंत्री अमेरिका की यात्रा पर हैं और माना जा रहा है कि वे द्विपक्षीय व्यापार के मसले पर कुछ सकारात्मक समझौते कर पाएंगे। पिछले महीने प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे, तब खुद डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई थी। जिन वस्तुओं पर अमेरिका को लगता है कि भारत अधिक शुल्क वसूलता है, उन पर धीरे-धीरे शुल्क कम भी किया जा रहा है। इससे जाहिर है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार गतिविधियों में वैसी बाधा शायद न आए, जैसी चीन आदि देशों के साथ आने की आशंका जताई जा रही है। पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इससे भारत के कई क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ सकता है।
पहले ही भारत आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर चिंताजनक दौर से गुजर रही है। ऐसे में जिन वस्तुओं के लिए अमेरिका में बड़ा बाजार था और उन पर भारत को न्यूनतम शुल्क देना पड़ता था, उन क्षेत्रों की रफ्तार कैसी रह पाएगी, दावा करना मुश्किल है।
वस्तुओं पर शुल्क निर्धारण के लिए विश्व व्यापार संगठन के नियम तय हैं। गरीब देश अमीर देशों पर इसलिए ऊंचा शुल्क लगा सकते हैं कि उससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। अमीर देशों से इसीलिए ऊंचा शुल्क देने की अपेक्षा की गई कि वे गरीब मुल्कों की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने में मददगार होंगे। माना गया था कि इस तरह दुनिया में तेजी से आर्थिक विकास हो सकेगा। मगर डोनाल्ड ट्रंप ने उस नियम को नजरअंदाज कर दिया। इससे विश्व व्यापार संगठन की स्थिति भी अजीब हो गई है। मगर ऐसा नहीं कि पारस्परिक शुल्क नीति से अमेरिका को कोई बड़ा लाभ मिलने वाला है।
अमेरिका खुद महंगाई से पार पाने की चुनौती से जूझ रहा है। उसमें अगले महीने से पारस्परिक शुल्क लगने से जब दूसरे देशों से वस्तुएं महंगी दरों पर वहां पहुंचेंगी, तो महंगाई और बढ़ेगी ही। अमेरिका दवा और बहुत सारी चीजों के कच्चे माल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। इसलिए माना जा रहा है कि वह अपने इस फैसले पर ज्यादा समय तक टिका नहीं रह पाएगा। भारत भी इसीलिए फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है।