अमेरिका में राज्य स्तरीय चुनावों के नतीजों से एक स्पष्ट आहट सुनी जा सकती है। यह एक ओर प्रवासियों के पक्ष में जनादेश है, तो दूसरी ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादित नीतियों के खिलाफ संदेश भी। न्यूयार्क के महापौर से लेकर कई राज्यों के गवर्नरों और स्थानीय चुनावों के आए परिणामों ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिकी समाज विविधता एवं समरसता की संस्कृति को ही पसंद करता है और उसे किसी की मनमानी पसंद नहीं। इस लिहाज से देखें, तो प्रवासियों को मुद्दा बना कर अपने फैसले पर अड़े दिख रहे ट्रंप के लिए ये चुनावी नतीजे एक झटके की तरह हैं।

उनकी तमाम तल्खियों और धमकियों के बावजूद न्यूयार्क में जोहरन ममदानी मेयर का चुनाव जीत गए। न्यूयार्क में बीते पचास वर्षों में सबसे अधिक मतदान हुआ। यह एक बड़ा घटनाक्रम है। इससे प्रतीत होता है कि तमाम बाधाओं और उतार-चढ़ाव के बावजूद समुदाय विशेष की राजनीति से ऊपर उठ कर अमेरिका आगे बढ़ने के लिए तैयार है। न्यूयार्क से लेकर वर्जीनिया, मिसिसिपी, केंटकी और ओहायो के सिनसिनाटी शहर में हुए चुनाव में जहां डेमोक्रेटिक पार्टी का दबदबा दिखा, वहीं भारतवंशियों का भी खूब बोलबाला रहा।

खास बात यह है कि इन नतीजों के बाद अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर फिर से उत्साह लौट आया है और खुद हिलेरी क्लिंटन ने नतीजों को लोकतंत्र की जीत बताया है। इसी के साथ यह भी स्पष्ट हो गया है कि देश वास्तव में क्या चाहता है। दरअसल, न्यूयार्क एक प्रवासी के नेतृत्व वाला शहर बन गया है। जोहरन ममदानी ने जीत के बाद कहा भी कि यह शहर प्रवासियों का ही था। गौरतलब है कि इस भारतवंशी नेता को हराने ने लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने पूरी ताकत झोंक दी थी। बावजूद इसके उनका जीतना यह साबित करता है कि न्यूयार्क के मतदाता मौजूदा सत्ता से किस कदर नाखुश हैं और वे मानते हैं कि अमेरिका प्रवासियों का भी देश है।

यह उनके इस भरोसे और उम्मीद की भी जीत है, जो यह मानता है कि देश निरंकुशता से नहीं चलता। समझा जा सकता है कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए आगे का रास्ता निर्बाध नहीं होने जा रहा है। इन चुनावी नतीजों को रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक सबक की तरह भी देखा जा रहा है।