पंजाब अलगाववादी गतिविधियों के लिहाज से अब भी संवेनशील राज्य है। पिछले कुछ समय से फिर कनाडा आदि देशों में रह रहे कुछ अलगाववादी सिख खालिस्तान की मांग उठाने लगे हैं। उसका कुछ असर पंजाब में भी देखा गया। हालांकि सरकार ने चुस्ती दिखाई और ऐसे तत्त्वों पर लगाम कसने में कामयाब हुई। मगर पिछले कुछ समय से पंजाब में आपराधिक गतिविधियां बढ़ गई हैं, दिनदहाड़े और सरेआम किसी को गोली मार देने में भी अपराधियों को कोई हिचक नहीं होती।
खालिस्तान समर्थक पूर्व आतंकवादी है हमलावर
ऐसे वातावरण में पुलिस से अधिक चौकस रहने की अपेक्षा की जाती है। मगर पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर जिस तरह स्वर्ण मंदिर परिसर में जानलेवा हमला हो गया, उससे जाहिर है कि पुलिस ने उनकी सुरक्षा के अपेक्षित इंतजाम नहीं किए थे। जिस व्यक्ति ने उन पर गोली चलाई वह खालिस्तान समर्थक पूर्व आतंकवादी है।
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रामरहीम के आपराधिक मामले में सुलह करवाने के आरोप में अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल को तनखैया घोषित कर गुरुद्वारे में सेवा करने और कीर्तन सुनने का आदेश दिया था। उसी का पालन करते हुए स्वर्ण मंदिर परिसर में वे सेवा दे रहे थे। एक व्यक्ति ने उसी वक्त उन पर हमला करने की कोशिश की। गनीमत थी कि वहां सादी वर्दी में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उसे दबोच लिया। इस तरह गोली बादल को न लग कर दीवार पर जा लगी।
स्वर्ण मंदिर में श्रद्धालुओं की नहीं होती तकनीकी जांच
हालांकि स्वर्ण मंदिर परिसर में उस तरह श्रद्धालुओं की तकनीकी जांच नहीं होती, जिस तरह अन्य अनेक पूजा स्थलों पर की जाती है। श्रद्धालु मुक्त रूप से परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। पर सुरक्षा के लिहाज से परिसर में सैकड़ों सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। यह अच्छी बात है कि श्रद्धा के मामले में वहां सरकारी हस्तक्षेप नहीं है, मगर सुखबीर बादल वहां किसी सामान्य श्रद्धालु की तरह नहीं गए थे। उनकी सुरक्षा को लेकर किसी तरह की लापरवाही की अपेक्षा नहीं की जा सकती।
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गनीमत है कि सादी वर्दी में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उस हमले को नाकाम कर दिया, पर यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि आखिर बंदूक लेकर कोई शख्स कैसे पूर्व मुख्यमंत्री के करीब तक पहुंच गया। अगर उसे परिसर में प्रवेश से पहले ही पकड़ लिया जाता, तो वह गोली चलाने में कामयाब ही न हो पाता। दूसरी बात, कि अगर मंदिर परिसर में सादी वर्दी में प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी तैनात थे, तो उन्हें उस व्यक्ति को पहचानने में इतनी देर कैसे हो गई कि वह बादल के करीब तक पहुंच गया।
पाकिस्तान से नजदीक है स्वर्ण मंदिर
पंजाब सीमावर्ती राज्य होने के कारण भी बहुत संवेदनशील है। अमृतसर तो बिल्कुल पाकिस्तान सीमा से लगा हुआ है। यह भी छिपी बात नहीं है कि अलगाववादी तत्त्वों के तार पाकिस्तानी दहशतगर्दों से भी जुड़े हुए हैं। जिस व्यक्ति ने बादल पर हमला किया, उसके बारे में भी बताया जा रहा है कि खालिस्तान आंदोलन के दौरान पाकिस्तान गया था। ऐसे में पुलिस और सुरक्षाबलों की मामूली लापरवाही भी बड़ी घटना का कारण बन सकती है।
पंजाब में बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर काबू न पा सकने की वजह से स्वाभाविक ही वहां की राज्य सरकार पर सवाल उठते रहे हैं। सुखबीर बादल पर हमले के बाद फिर से सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पर अंगुलियां उठने लगी हैं। हमला करने वाले की बादल पर गोली चलाने के पीछे मंशा चाहे जो रही हो, पर चिंता की बात है कि वह सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी का फायदा उठाने में कामयाब हो गया।
