सड़क पर सुरक्षा के लिए कानून के तहत यातायात नियम निर्धारित किए गए हैं। जिनमें हेलमेट और सीटबेल्ट पहनना, नशे में वाहन न चलाना, निर्धारित गति सीमा का पालन करना और सुरक्षित रूप से सड़क पार करना भी शामिल है। इसके बावजूद वाहन सवार और पैदल चलने वालों के लिए जान का जोखिम कम नहीं हो रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है यातायात नियमों की अनदेखी करना।

खासकर महंगे एवं आरामदायक वाहनों में सफर करने वाले कुछ लोगों का तो जैसे यातायात नियमों से कोई वास्ता ही नहीं है। तेज रफ्तार को वे अपनी शान समझते हैं। ऐसे लोग खुद के साथ-साथ सड़क पर अन्य लोगों की जान खतरे में डालने से जरा भी नहीं हिचकते। दिल्ली छावनी मेट्रो स्टेशन के पास रविवार को हुआ जानलेवा हादसा इसका ताजा उदाहरण है। गौरतलब है कि एक तेज रफ्तार बीएमडब्लू कार ने मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिससे वित्त मंत्रालय में कार्यरत एक अधिकारी की मौत हो गई और उनकी पत्नी समेत तीन अन्य लोग घायल हो गए।

दिल्ली: BMW कार ने बाइक को मारी टक्कर, वित्त मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी की मौत

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी एक रपट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन 474 लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं। वर्ष 2023 में 1.72 लाख लोगों की सड़क हादसे में जान गई है, जो वर्ष 2022 में 1.68 लाख मौतों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। आंकड़ों से पता चलता है कि सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह तेज रफ्तार है। वर्ष 2023 में सड़क हादसों में हुई कुल मौतों में से 68 फीसद से ज्यादा तेज गति से वाहन चलाने के कारण हुई हैं। इससे साफ है कि सड़क पर तेज रफ्तार का जुनून कितना भयावह साबित हो रहा है।

इस तरह के जुनून में डूबे लोग आमतौर पर यातायात संबंधी नियम-कानूनों को ताक पर रख कर वाहन चलाते हैं। ऐसे में कानूनों को सख्ती से लागू करने के साथ-साथ जरूरत है उन लोगों की मानसिकता को बदलने की, जो सड़क पर तेज रफ्तार को अपनी शान समझते हैं। शासन-प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि यातायात नियमों का किसी भी हाल में उल्लंघन न हो, तभी सड़क हादसों पर कुछ हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।