किसी भी देश में लोकतंत्र की मजबूती और विश्वसनीयता इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें सरकार के चुने जाने की प्रक्रिया कितनी स्वच्छ, स्वतंत्र और पारदर्शी है। इसके लिए चुनाव आयोजित कराने वाली संस्था को यह सुनिश्चित करना होता है कि कोई भी नागरिक वोट देने के अधिकार से वंचित न हो, मतदान की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तथा चुनाव में हिस्सेदारी करने वाले सभी दलों के लिए भरोसेमंद हो और नतीजों को लेकर सभी पक्ष संतुष्ट हों।
मगर देश में होने वाले अमूमन हर चुनाव के बाद जिस तरह के विवाद सामने आते रहे हैं, मतदान की प्रक्रिया में गड़बड़ी और इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के समूचे तंत्र के साथ-साथ नतीजों तक को लेकर जैसे सवाल उठे हैं, उससे कई तरह की आशंकाएं खड़ी हुई हैं। अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को सार्वजनिक रूप से कई जगहों पर हुए मतदान और उसमें हुई गड़बड़ियों के संदर्भ में चुनाव आयोग की कार्यशैली को लेकर जिस तरह के सवाल उठाए हैं, वे अपनी प्रकृति में बेहद गंभीर हैं और स्वाभाविक ही इस पर चुनाव आयोग की ओर से स्पष्टता की अपेक्षा की जा रही है।
राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने दिया जवाब, तेजस्वी यादव को भी EC का नोटिस
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने संवाददाता सम्मेलन में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए और दावा किया कि लोकसभा चुनावों, महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर धांधली की गई। उन्होंने कर्नाटक के एक विधानसभा क्षेत्र का आंकड़ा सामने रखते हुए आरोप लगाया कि मतदाता सूची में हेरफेर, फर्जी मतदाता, गलत पते, एक पते पर कई मतदाता, एक मतदाता का नाम कई जगह की सूची में होने जैसे कुछ खास तरीकों पर आधारित ‘वोट चोरी’ करने के इस माडल को कई निर्वाचन क्षेत्रों में अमल में लाया गया, ताकि भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिल सके।
हालांकि चुनावी गड़बड़ियों की शिकायतें पहले भी आती रही हैं, लेकिन आमतौर पर वे किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकीं या फिर निर्वाचन आयोग की ओर से उन्हें निराधार घोषित किया जाता रहा है। अब इस बार जिस गंभीर स्वरूप में इस मामले को उठाया गया है, उसके बाद देश भर में यह बहस खड़ी हो गई है कि अगर इन आरोपों का मजबूत आधार है तो इससे एक तरह से समूची चुनाव प्रक्रिया की वैधता कठघरे में खड़ी होती है।
‘राहुल को सलीम-जावेद से मिली है पटकथा’, ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर बोले फड़नवीस
इस मसले पर चुनाव आयोग ने फिलहाल कोई जवाब देने के बजाय राहुल गांधी से शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर कर शिकायत देने या फिर देश की जनता को गुमराह न करने को कहा है। मगर राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ का दावा करते हुए जिस तरह अपने आरोपों को सबूतों पर आधारित बताया है, उसके बाद चुनाव आयोग से उम्मीद की जाती है कि वह समूची चुनावी प्रक्रिया पर भरोसे को बहाल रखने के लिए पूरी पारदर्शिता के साथ इस संबंध में उठे सवालों का जवाब सामने रखे।
अगर वास्तव में कोई गड़बड़ी रही है, तो कमियों को स्वीकार करके उसमें सुधार करना देश के हित में ही होगा। यों भी, मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम हटाने और जोड़ने या फर्जी मतदान के जरिए नतीजों को प्रभावित करने को लेकर हर चुनाव के बाद विवाद खड़े होते रहे हैं। बिहार में जारी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण के संदर्भ में भी लाखों मतदाताओं को बाहर किए जाने को लेकर कई सवाल उठे हैं।
ऐसे में समूची चुनावी प्रक्रिया के साथ-साथ मतदान और नतीजों के संबंध में सौ फीसद पारदर्शिता तथा ईमानदारी सुनिश्चित होने को लेकर आम लोगों के बीच भरोसा होना लोकतंत्र के जीवन के लिए जरूरी है।