एक बार फिर प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर वह आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ेगा, तो उसे और बुरे नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने जिस सूझबूझ और शौर्य के साथ पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, वह एक बड़ी मिसाल है। उसके बाद पाकिस्तान के हुक्मरान भी सोचने पर विवश हुए कि आतंकवाद को पोसने का इतना बड़ा खमियाजा देश को उठाना पड़ा है। मगर चूंकि वहां की सेना और खुफिया एजंसी आतंकवाद को भारत के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती रही हैं, इसलिए वे अब भी अपने रास्ते में बदलाव को तैयार नहीं दिख रही हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात को जोर देकर रेखांकित किया कि पाकिस्तान का एकमात्र मकसद भारत से नफरत करना और इसे नुकसान पहुंचाने के तरीके सोचना है, जबकि हमारे देश ने गरीबी खत्म करने और आर्थिक विकास का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर पाकिस्तान की तिलमिलाहट स्वाभाविक है। तुरंत इसके जवाब में उसने प्रतिक्रिया दी कि भारतीय प्रधानमंत्री के इस बयान से इस क्षेत्र में अशांति का खतरा पैदा हो गया है, जबकि पाकिस्तान अमन चाहता है।

आपरेशन सिंदूर के बाद भाजपा पूरे देश में तिरंगा यात्रा निकाल रही है

हालांकि इस तरह की विरोधाभासी प्रतिक्रियाएं वह सदा से देता आया है। आपरेशन सिंदूर के बाद भाजपा पूरे देश में तिरंगा यात्रा निकाल रही है। सरकार ने दुनिया के अलग-अलग देशों में पाकिस्तान की हकीकत बताने और अपना पक्ष रखने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने भी गुजरात में दो दिन की रैली की। उसी दौरान उन्होंने पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई।

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सरकार ने बार-बार रेखांकित किया है कि आपरेशन सिंदूर फिलहाल स्थगित है, वह समाप्त नहीं हुआ है। यानी वह अब भी सक्रिय है और पाकिस्तान की हरकतों पर नजर बनाए हुए है। जाहिर है, इससे पाकिस्तान में घबराहट है। बेशक वह कहता है कि भारत के किसी भी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है, मगर हकीकत यही है कि जिस दौर से वह गुजर रहा है, फिलहाल वह किसी भी तरह के सैन्य संघर्ष का बोझ वहन कर पाने की स्थिति में नहीं है।

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अगर वह सचमुच भारत का मुकाबला कर सकने की स्थिति में होता तो, जैसा कि भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है, पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी आपरेशन सिंदूर पर विराम लगाने की गुहार न लगाते। ऐसी स्थितियों में उसके नेता बेशक सार्वजनिक बयानों में भारत पर हमला करते रहे हों, पर जमीनी हकीकत हमेशा उससे दूर रही है। हकीकत यह है कि पाकिस्तान अपनी अंदरूनी स्थितियों से ही काफी परेशान है। उसकी माली हालत खस्ता हो चुकी है। कर्ज और इमदाद के भरोसे उसकी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है। बलूचिस्तान के विद्रोही उसकी नाक में दम किए हुए हैं।

इधर भारत ने सिंधु जल समझौता और व्यापारिक गतिविधियां स्थगित करके और परेशानी पैदा कर दी है। ऊपर से भारत पूरी दुनिया में उसकी असलियत बताने में जुटा है। इस तरह पाकिस्तान पूरी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में लगातार अलग-थलग पड़ता गया है। ऐसे में उसके हुक्मरान को अपनी सेना और खुफिया एजंसी की भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने के रास्ते तलाशने ही होंगे। प्रधानमंत्री ने फिर से भारत का रुख स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी रूप में आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और इसके लिए पाकिस्तान को सबक सिखा कर रहेगा।