पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले को लेकर अब अमेरिका और ब्रिटेन ने भी पाकिस्तान पर आतंकवादियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इससे उम्मीद बनी है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई के लिए बाध्य होगा। इधर भारत ने शांतिवार्ता की राह में कोई रोड़ा न आने देने के अपने संकल्प पर कायम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से फोन पर बात करके साफ कह चुके हैं कि वे पठानकोट हमले में मिले सबूतों के आधार पर कड़े कदम उठाएं। हालांकि पाकिस्तान ने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत की मदद का आश्वासन दिया है, मगर अब भी उसका रवैया टालमटोल का ही नजर आ रहा है। पठानकोट हमले में मिले सबूतों से जाहिर है कि इसे जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया।
जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया सरेआम पाकिस्तान में घूम रहा है, भारत की शांतिवार्ता संबंधी पहल पर लगातार लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा है, मगर पाकिस्तान अभी तक उस पर अंकुश नहीं लगा पाया है। मुंबई हमले से जुड़े सारे सबूत भी उसे सौंपे गए थे, मगर वह उन्हें नाकाफी बता कर आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध कोई निर्णायक कदम उठाने से बचता रहा है। पठानकोट मामले में भी उसका रवैया उससे अलग नजर नहीं आ रहा। ऐसे में अमेरिका और ब्रिटेन का दबाव उसे नए सिरे से सोचने पर विवश कर सकता है। अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर पाकिस्तान ने अपने रवैए में बदलाव लाने का प्रयास नहीं किया, तो उसे अमेरिकी मदद से महरूम होना पड़ सकता है।
अमेरिका की यह सख्ती भारत के लिए सकारात्मक संकेत है। पिछले कुछ समय से भारत के साथ अमेरिका की नजदीकी बढ़ी है। फिर पेरिस हमले के बाद दुनिया के तमाम ताकतवर देश आतंकवाद को एक अघोषित युद्ध घोषित कर चुके हैं। ऐसे में पाकिस्तान के लिए जैश-ए-मोहम्मद या फिर दूसरे संगठनों के खिलाफ देर तक चुप्पी साधे रखना आसान नहीं हो सकता। अभी तक पाकिस्तान आतंकवाद को दो तरह से देखता रहा है। एक तो वह, जो खुद पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है और दूसरा वह, जो भारत या फिर दुनिया के दूसरे देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
पहले जब भी अमेरिका ने उस पर दहशतगर्दी रोकने का दबाव बनाया, तो उसने उन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की, जो पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं। अब की बार अमेरिका ने स्पष्ट तौर पर उन आतंकवादियों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई के लिए कहा है, जिन्हें भारत में दहशत फैलाने के लिए पाकिस्तान से सहायता मिलती रही है। इस पर पाकिस्तान की उलझन प्रकट है, पर वह अमेरिकी इमदाद की कीमत पर इसे देर तक नजरअंदाज नहीं कर पाएगा। अब जरूरत है कि भारत लगातार सीधे और अमेरिका की मदद से उस पर दबाव बनाए रखे और शांतिवार्ता में आतंकवाद समाप्त करने का मुद्दा सबसे ऊपर रखे।