अब यह पूरी तरह साफ है कि पाकिस्तान की बेजा हरकतों और आतंकवादियों को शह देने की प्रवृत्ति ने ही भारत के सामने आखिरी विकल्प के रूप में आतंकियों को ठोस जवाब देने की स्थिति पैदा कर दी। पहलगाम में आतंकी हमला धीरज रखने की अंतिम हद थी, जिसके बाद भारत ने वही किया, जो इसके लिए उचित था। अब सीमा पार आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले के बाद पाकिस्तान वैश्विक समुदाय के सामने जिस तरह अपनी व्यथा को पेश करने की कोशिश कर रहा है, उसमें आमतौर पर किसी देश ने कोई रुचि नहीं दिखाई है।
इसके कारण भी साफ हैं। दरअसल, ज्यादातर देश जानते हैं कि दुनिया भर में आतंकवाद ने एक जटिल समस्या के रूप में जड़ पकड़ी और अलग-अलग देशों को बुरी तरह प्रभावित किया है, तो उसमें पाकिस्तान की क्या भूमिका रही है। आतंकियों को पलने-बढ़ने और प्रशिक्षण हासिल करने के आसान ठिकाने मुहैया करा कर पाकिस्तान ने क्या साबित करने की कोशिश की है? आखिर किन वजहों से कुछ आतंकवादी संगठनों को अपनी गतिविधियां संचालित करने के लिए पाकिस्तान एक सुरक्षित ठिकाना लगता रहा है?
आतंक का पोषण करने के मसले पर पाकिस्तान पर उठे सवाल
जाहिर है, बिना शह और संरक्षण के आतंकवादी किसी ऐसी जगह को अपने लिए सुरक्षित नहीं मान सकते। हालांकि संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब भी आतंक का पोषण करने के मसले पर पाकिस्तान पर सवाल उठे, तब उसने हर बार इस आरोप से अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की। मगर भारत ने दुनिया के तमाम प्रभावशाली देशों के सामने आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान के बारे में स्पष्ट तथ्य रखे।
यह बेवजह नहीं है कि पाकिस्तान अब भारत का जवाब झेलते हुए एक मुश्किल स्थिति से गुजर रहा है तो दुनिया के देश यह समझ रहे हैं कि इस स्थिति के लिए खुद पाकिस्तान का रुख जिम्मेदार है। इसी कारण अपनी सीमा में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत के हमले को आधार बना कर वह वैश्विक समुदाय को अपना पक्ष बताने की कोशिश कर रहा है। मगर पिछले कई दशकों से आतंकवाद को जटिल बनाने में उसका जो रवैया रहा है, उसे देखते हुए तमाम देश भारत के जवाबी हमले और उससे उपजी स्थिति के बारे में पाकिस्तान पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत साख वाला देश भारत
दूसरी ओर, भारत ने धीरज छूटने के बाद जिस तरह जवाब के तौर पर ‘केंद्रित और नपी-तुली’ कार्रवाई की, दुनिया के करीब सभी प्रभावशाली देशों ने उसका मजबूत आधार देखा और उसे उचित माना। फिर भी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत साख वाला देश होने के नाते भारत ने अलग-अलग देशों के सामने स्थिति स्पष्ट करना अपनी जिम्मेदारी समझी। कूटनीतिक मोर्चे पर की गई भारत की इस पहलकदमी के सकारात्मक नतीजे सामने आए, जब भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका, ईरान और सऊदी अरब के अपने समकक्षों से बात की और यह स्पष्ट किया कि भारत का पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर देश पर सैन्य हमला होता है तो मजबूती से जवाब दिया जाएगा।
आतंकवादियों को संरक्षण देना ही पाकिस्तान समझता है सबसे जरूरी काम, भारत ने दिया करारा जवाब
पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद से अब तक जो वस्तुस्थिति सामने रही है, वह दुनिया की नजर में है और इसी वजह से कई देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया। जाहिर है, भारत की इस कवायद के बाद पाकिस्तान के अलग-थलग पड़ने की रफ्तार और तेज होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि कम से कम अब वह इस हकीकत को समझने और स्वीकार करने को तैयार हो कि आतंक को शह और संरक्षण देकर उसने क्या गंवाया है।
