पाकिस्तान इन दिनों अपनी ही आग में झुलस रहा है। उधर बलूचिस्तान प्रांत में उसे बलूच विद्रोहियों से कड़ी चुनौती मिल रही है, तो इधर पाक सेना के तैयार किए आतंकवादियों को निशाना बनाया जाने लगा है। लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर जिया-उर-रहमान की पाकिस्तान में हत्या इस बात का संकेत है कि आतंकवाद खुद पाकिस्तान के लिए नासूर बन चुका है। छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजंसी आइएसआइ आतंकवादी संगठनों को इस इरादे से संरक्षण देते रहे हैं कि उनके जरिए भारत में अशांति फैलाई जा सके। मगर वही आतंकी अब उसके लिए मुश्किलें खड़ी करने लगे हैं।

तमाम सबूतों से जाहिर है कि लश्कर जैसे आतंकी संगठनों के नेताओं को वहां की सरकार कड़े पहरे और सुरक्षा घेरे में रखती है। जिन संगठनों और आतंकियों को विश्व भर में प्रतिबंधित किया जा चुका है, उन्हें भी वह पोसती है। छिपी बात नहीं है कि हाफिज सईद ने भारत में अनेक आतंकी हमलों की साजिश रची थी, पर पाकिस्तानी हुकूमत इसे मानने को तैयार नहीं। उसने हाफिज को कड़ा सुरक्षा घेरा मुहैया करा रखा है। ताजा घटना में मारा गया जिया-उर-रहमान हाफिज का खास कमांडर था और उसे भी पाकिस्तानी सेना ने कड़ी सुरक्षा दे रखी थी।

पाकिस्तानी सेना ने बढ़ाई हाफिज सईद की सुरक्षा

खबर है कि जिया-उर-रहमान के मारे जाने के बाद पाकिस्तान सरकार के माथे पर बल पड़ गए हैं। वहां की सेना ने हाफिज सईद की सुरक्षा बढ़ा दी है। रहमान जम्मू-कश्मीर में अनेक आतंकी गतिविधियों का साजिशकर्ता था। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा एजंसी ने उसे वांछितों की सूची में डाल रखा था। मगर पाकिस्तानी सेना की कड़ी सुरक्षा में सेंध लगा कर अगर रहमान को मार डाला गया, तो जाहिर है, वहां ऐसे संगठन तैयार हो चुके हैं, जो सरकारी सुरक्षा वाले आतंकी संगठनों को चुनौती देने लगे हैं।

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भारत लगातार कहता और सबूत पेश करता रहा है कि पाकिस्तान दहशतगर्दी का कारखाना बन चुका है। मगर उस पर कभी गंभीरता से अंकुश लगाने की अंतरराष्ट्रीय कोशिश नहीं हुई। पहले अमेरिका उसके दहशतगर्दों का बचाव करता था, अब चीन करने लगा है। जब भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की बात उठती है, तो चीन अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर उसे बचा लेता है। इसलिए कि पाकिस्तान से उसके स्वार्थ जुड़े हैं। मगर पाकिस्तान खुद यह समझना नहीं चाहता कि आतंकवाद को पोसने का खमियाजा सबसे अधिक उसे ही उठाना पड़ रहा है। इसी महीने आई विश्व आतंकवाद से संबंधित रपट में खुलासा हुआ कि दुनिया में सबसे अधिक आतंकवाद से प्रभावित देश पाकिस्तान है।

पाकिस्तान के बाकी हिस्सों में भी गहरा असंतोष

पाकिस्तान इन दिनों सबसे खराब माली हालत से गुजर रहा है। वहां शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाएं बुरी तरह चरमरा चुकी हैं। वहां की आम अवाम आटे-दाल के लिए संघर्ष कर रही है। मगर पाकिस्तानी हुकूमत का ध्यान मुल्क की माली हालत बेहतर करने के बजाय चीन की इमदाद पर अधिक है। इसका तीखा विरोध उसे बलूचिस्तान प्रांत में झेलना पड़ रहा है।

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पाकिस्तान के बाकी हिस्सों में भी गहरा असंतोष है। ऐसे में आतंकवादियों को पोसने पर पाकिस्तानी सेना का खर्च लोगों की आंखों में चुभ रहा है। इस कयास से इनकार नहीं किया जा सकता कि ऐसे ही किसी विद्रोही गुट ने वहां पल रहे आतंकवादी संगठनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। अगर पाकिस्तान इसी तरह आग से खेलता रहा, तो वह और झुलसेगा।